Election Commission Power and Function Hindi | निर्वाचन आयोग
दोस्तों studyknown ब्लॉग पर आपसभी का स्वागत है। दोस्तों आजके ब्लॉग पोस्ट पर हम Election Commission Power and Function के बारे में जानने वाले है। दोस्तों सबसे पहले भारत में चुनाव आयोग की स्थापना 25 Jan 1951 में हुआ है। और, भारतीय संविधान में चुनाव आयोग का वर्णन Article 324 से 329 के विच में किया गया है।
और, देश में पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव को कराने के लिए चुनाव आयोग का गठन किया गया है। और, भारत में पहला आम चुनाव 1951 और 1952 के विच में हुआ है। और, दूसरा चुनाव 1957 में हुआ है। और, ‘सुकुमार सेन‘ इन दोनों चुनाव के मुख्य चुनाव आयुक्त थे।
इसके साथ आगे इन पोस्ट में चुनाव आयोग की शक्ति और कार्य के साथ साथ मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल, Removal from office, Voter Id एवं Electronic voting machines के बारे में भी विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे। चलिए सबसे पहले चुनाव आयोग की शक्ति और कार्य के बारे में जानते है।
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Description of the Election Commission Power and Function
- दोस्तों भारत एक लोकतांत्रिक देश होने के कारन नियमित अंतराल पर,
- चुनाव करना महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है,
- इसीलिए, भारत में चुनाव आयोग का गठन किया गया है।
- और, चुनाव आयोग भारत के संविधान से जुड़े हुये,
- सभी प्रकार की चुनाव को कराने का काम करती है।
- और, हर चुनाव में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए,
- निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से चुनाव कराने के लिए,
- चुनाव आयोग एक आदर्श आचार संहिता जारी करता है।
- इसीलिए, भारत में 5 वीं लोकसभा चुनावों के लिए,
- चुनाव आयोग ने पहली बार 1971 में आचार संहिता को जारी किया है।
- और, समय-समय पर आयोग द्वारा इसे संशोधित भी किया गया है।
- इसके साथ, चुनाव आयोग चुनाव के समय राजनीतिक दलों,
- तथा, उम्मीदवारों के आचरण के लिए दिशानिर्देश भी देता है।
- हालांकि, उम्मीदवारों द्वारा आधिकारिक मशीनरी के दुरुपयोग के लिए,
- प्राप्त की जा रही शिकायतों के साथ चुनाव के समय,
- विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा संहिता के उल्लंघन के उदाहरण भी हैं।
Main Function
- चुनाव आयोग, प्रत्येक आम चुनाव के चुनाव से पहले मतदाता सूची को तैयार करना है।
- तथा, सभी पात्र मतदाताओं का पंजीकरण कराने का दायित्व भी चुनाव आयोग के ऊपर होता है।
- इसके साथ, चुनाव आयोग, चुनाव की तारीख को निकालवाने का काम भी करता है।
- तथा, मतदान पहचान पत्र तैयार करने का काम भी चुनाव आयोग के आधीन होता है।
- और, मतदाता सूचियों को हर समय up-to-date रखना भी,
- चुनाव आयोग का ज़िम्मेदारी होता है।
- तथा, चुनावी खर्चा की देखरेख करने का दायित्व भी चुनाव आयोग पालन करता है।
- और, चुनावो में चुनावी चिन्हो का आवंटन भी चुनाव आयोग करता है।
- इसके साथ, चुनावी व्यवस्था से संबंधित विवादों को देखने के लिए,
- चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति चुनाव आयोग करता है।
- और, निर्वाचन क्षेत्रों का सीमा-निर्धारण करना भी चुनाव आयोग की ज़िम्मेदारी होती है।
- तथा, आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए,
- निष्पक्ष चुनाव कराने का दायित्व चुनाव आयोग के ऊपर होता है।
- इसके साथ, राजनीतिक दलों के पंजीकरण प्रक्रिया के लिए,
- एक कानून 1989 में बनाया गया था,
- और, कई दलों ने आयोग के पास पंजीकरण भी कराया था,
- इसी पंजीकरण द्वारा भ्रम से बचने में मदद करता है,
- और, यह सुनिश्चित करता है कि राजनीतिक दलों को,
- चुनाव आयोग के Circle में लाया जा सके।
- इसके साथ, आयोग को मतदान के रुझानों के प्रसार या प्रकाशन पर,
- रोक लगाने का अधिकार भी होता है,
- जो, मतदाताओं को जनमत सर्वेक्षण या,
- एग्जिट पोल से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
Election Commission suggestions and changes
- चुनाव के समय बढ़ते धन के प्रभाव को रोकने के लिए,
- चुनाव आयोग ने कई सुझाव और बदलाव किए हैं।
- जैसे, आयोग ने आयकर विभाग के IRS अधिकारियों को,
- सभी चुनावों के चुनाव पर्यवेक्षकों के रूप में नियुक्त किया है।
- और, चुनाव प्रचार के दौरान उम्मीदवार द्वारा खर्च की जाने वाली,
- धनराशि की कानूनी सीमा तय की है।
- और, इन सीमाओं को समय के साथ संशोधित भी किया गया है।
- इसके साथ, चुनाव आयोग भारतीय राजस्व सेवा से,
- व्यय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है, जो,
- चुनावी व्यय के व्यक्तिगत खाते पर नज़र रखता है।
- तथा, चुनाव आयोग चुनाव से पहले उम्मीदवार की,
- नामांकन पत्र जमा करने के समय हलफनामे पर,
- संपत्ति का विवरण भी लेता है जिन्हें परिणामों की घोषणा के,
- तीस दिनों के भीतर अपने खर्च का विवरण देना जरूरी होता है।
- इसीलिए, चुनाव खर्च में कटौती के लिए लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए,
- आयोग द्वारा अभियान की अवधि को भी 21 से 14 दिनों तक घटा दिया गया है।
- इसके साथ, चुनाव आयोग ने सजायाफ्ता नेताओं को चुनाव लड़ने से,
- आजीवन प्रतिबंध लगाने के लिए उच्चतम न्यायालय को अपील किया है।
Tenure of Chief Election Commissioner
- चुनाव आयोग के गठन में एक मुख्य चुनाव आयुक्त होते है।
- इसके साथ, और दो चुनाव आयुक्त भी होते है।
- जिनके नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
और, मुख्य चुनाव आयुक्त की कार्यकाल छह वर्ष के लिए होते है।
- तथा, मुख्य चुनाव आयुक्त पैसठ वर्ष तक अपने पद पर वने रहे सकते है।
- लेकिन, छह वर्ष के कार्यकाल के भीतर अगर मुख्य चुनाव आयुक्त की आयु,
- पैसठ वर्ष हो जाती है तो उन्हें अपने पद से निवृत्ति लेने की प्रावधान है।
Removal from office
- भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को भारत के,
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की जो विधि होते है,
- ठीक उसी विधि द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त को,
- अपने कार्यालय से हटाया जा सकता है।
- जिसके लिए भारत की संसद द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में,
- दो-तिहाई बहुमत से पारित एक प्रस्ताव की आवश्यकता होती है।
- इसके अलावा, सिद्ध दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर भी,
- मुख्य चुनाव आयुक्त को अपने पद से हटाया जा सकता है।
- इसके साथ, अन्य चुनाव आयुक्तों को मुख्य चुनाव आयुक्त की,
- सिफारिश पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
Voter ID
- दोस्तों अब बात करे है Voter ID के बारे में,
- चुनाव आयोग ने चुनावी धोखाधड़ी को रोकने के प्रयास में,
- 1993 में, EPIC यानि Electors Photo Identity Cards को जारी किए है,
- जो 2004 के चुनावों में से अनिवार्य हो गए है।
- हालांकि, कुछ स्थितियों में चुनाव के प्रयोजनों के लिए,
- राशन कार्ड की अनुमति दी गई है।
EVM | Chapter India Election Commission Power and Function
- Electronic voting machines (EVM) को,
- चुनाव आयोग द्वारा शुरू किया गया था, ताकि,
- कुप्रथाओं को कम किया जा सके और चुनावी दक्षता में सुधार किया जा सके।
- इसके साथ, भारत में जनसंख्या बड़े पैमाने पर होने के कारन भारत,
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग को अपनाने वाला पहला देश भी है।
- और, भारत में सबसे पहले 1982 में वोटिंग मशीनों का उपयोग,
- केरल के राज्य विधान सभा चुनावों के लिए किया गया था,
- और, यह एक कोशिश थी चुनाव आयोग द्वारा,
- चुनाव प्रक्रिया में सुधार लाने के लिए,
- इसके साथ, सफल परीक्षण और कानूनी पूछताछ के बाद,
- चुनाव आयोग ने इन वोटिंग मशीनों का,
- उपयोग शुरू करने का निर्णय लिया था।
- और, सितंबर 2013 में देश के विभिन्न ,
- विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के चुनावों में ,
- EVM पर उम्मीदवारों की तस्वीरों के साथ पेश की गई थी।
- और, VVPAT प्रणाली का पहली बार EVM के साथ उपयोग किया गया था।
- और, इसके बाद 2014 के भारतीय आम चुनावों में,
- आठ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में VVPAT,
- यानि Voter-verified paper audit trail की,
- शुरुआत चुनाव आयोग के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
- और, 2015 में EVM पर उम्मीदवारों की तस्वीरों के साथ,
- फोटो मतदाता सूची पर पहली बार,
- बिहार विधान सभा चुनाव में पेश की गई थी।
ETPB
- भारत में पोस्टल वोटिंग को ETPB कहा जाता है।
- और, ETPB का अर्थ Electronically Transmitted Postal Ballot Papers है,
- और, EVM से वोटों की गिनती से पहले “पोस्टल वोटों” की गिनती की जाती है।
- जिसमे केवल कुछ श्रेणी के लोग ही डाक मतदाता के रूप में पंजीकरण के पात्र होते हैं।
- जैसे, भारत सरकार के लिए काम करने वाले कर्मचारी,
- जो आधिकारिक तौर पर विदेश में तैनात है।
- और, राज्य पुलिस तथा केंद्रीय सशस्त्र बलों जैसे संगठन,
- डाक वोट के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।
- और, इस मतदान को “Service voters”.भी कहा जाता है।
- इसके साथ, भारत में Postal voting के साथ-साथ,
- विकलांग मतदाताओं के लिए भी विशेष व्यवस्था का प्रावधान है।
दोस्तों उम्मीद करता हूँ भारत में Election Commission Power and Function की पोस्ट में दी गई जानकारी को पड़कर आपसभी को अच्छा लगा हो, यदि यह पोस्ट आपसभी को पसंद आया है तो कृपया इन पोस्ट को facebook, twitter, pinterest और Instagram जैसे Social Sites पर Share करे। और, यह पोस्ट पड़ने के लिए आपसभी का धन्यवाद।