Forestry in India Hindi | प्राकृतिक वनस्पति | Indian Forest
नमस्कार दोस्तों studyknown ब्लॉग पर आपसभी का स्वागत है। दोस्तों आजके ब्लॉग पोस्ट पर हम Forestry in India यानि भारतीय वन विज्ञान के बारे में जानेंगे। सबसे पहले forest/वन किसे कहते है? इसे जानना जरुरी है। जो पैर पौधे प्रकृति के द्वारा स्वयं उगते है, तथा, वढ़ते है और मानव द्वारा उसे बढ़ाने का कोई प्रयास नहीं किया जाता है, और, प्रकृति के अंतर्गत यह पैर पौधे बड़े होकर के जब वन के रूप में परिवर्तित होते है, उसे forest/वन या प्राकृतिक वन कहते है।
दोस्तों अब हम जानते है की भारत में वन विज्ञान की संरचना में किस तरह के वन पाई जाती है, और इन वनो की विशेषता क्या है। भारत के पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में अलग अलग वनो की जानकारी है। जैसे, सदाबहार वन (Evergreen forest), पर्णपाती वन/पतझड़ वन (Deciduous forest), पर्वतीय वन (Mountain forest), काटेदार झारी वन या मरुस्थलीय वन (Desert forest), मैंग्रोव वन (Mangrove Forest), आरक्षित वन (Reserved forest) और संरक्षित वन (Protected forest)
इन पोस्ट को पड़े – Landforms structures Hindi
Evergreen forest | सदाबहार वन | Forestry in India
- सदाबहार वन भारत के पश्चिमी घाट,
- और, पूर्वी हिमालय के कुछ भाग में पाए जाते है।
- और, इस वन में सालाना 200 cm. से भी अधिक वर्षा होती है।
- तथा, सदाबहार वन भारत के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र (Tropical) में आते है।
- और, यह पश्चिमी घाट गुजरात से दक्षिण में केरल तक फैला हुआ है।
- इसके अलावा, यह वन अंडमान नोकोबार द्वीप समूह के क्षेत्,
- और, लक्षद्वीप के क्षेत्र में भी पाए जाते है।
- तथा, पूर्वी हिमालय क्षेत्र में यह वन असम, मणिपुर, मिजोरम,
- त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय में शिलांग का पठार,
- और, बंगाल के कुछ हिस्से में पाए जाते है।
- इसके साथ, पश्चिमी तट में सदाबहार वन की पहाड़ियों के साथ ,
- जब दक्षिण पश्चिम मानसून टकराते है, तो,
- वहा पर भारी बारिश होती है।
- तथा, पूर्वी हिमालय की तट पर भी जब दक्षिण पूर्व मानसून टकराते है, तो,
- वहा पर भी भारी बारिश होती है।
- यानि जिन हिस्सों में 200 cm. से भी ज्यादा बारिश होती है,
- वही क्षेत्र में जो वन पाये जाते है उसे सदाबहार वन कहा जाता है।
- इसके साथ, सदाबहार वन की कुछ विशेषता यह होती है, की,
- यह वन काफी घने होते है,
- और, एक मौसम में इस वन के सारे पत्ते नही झरते है,
- थोड़ा थोड़ा करके पुरे साल में इस वन के पत्ते झरते रहते है,
- इसीलिए यह वन पुरे साल में हरा भरा दिखाई देता है।
- इसके अलावा, दुनिया के सबसे ऊंचे वृक्ष भी इस वन में पाए जाते है।
- और, सदाबहार वन में बांस, महोगनी, रबड़, शीशम आदि… पाए जाते है।
- तथा, ऐसे जंगलों में पेड़ों की पत्तियां बहुत चौड़ी होती हैं।
Deciduous forest | पर्णपाती वन या पतझड़ वन
- पर्णपाती वन को पतझड़ वन के नाम से भी जाना जाता है।
- और, पर्णपाती वन की एक विशेषता यह है, की,
- यह वन वर्ष में अपने पत्ते को एक बार झाड़ देती है,
- ताकि, पानी का संचय किया जा सके।
- और, यह वन उन क्षेत्र में पाई जाती है,
- जहा पर साल में 70 से 200 cm. के विच में वर्षा होती हो।
- और, पर्णपाती वन को दो भागो में विभाजन किया जाता है,
- जैसे, आद्र पर्णपाती वन और शुष्क पर्णपाती वन।
- और, आद्र पर्णपाती वन में सालाना,
- लगभग 70 से 120 cm. तक बारिश होती है।
- तथा, शुष्क पर्णपाती वन में सालभर में करीब,
- 120 से 200 cm. के आसपास बारिश होती है।
- इसके साथ इस वन की विशेषता यह है, की,
- यह वन भारत के बृहत मध्यभाग में पाई जाती है।
- और, इस वन में सागवान, साल, एवं शीशम जैसे वृक्ष भी होते है।
- तथा, भारत में उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु आदि.. क्षेत्र में,
- पर्णपाती वन या पतझड़ वन देखने को मिलते है।
Mountain forest | पर्वतीय वन | Forestry in India
- दोस्तों पर्वतीय वन को शंकुधारी वन एवं हिमालय का जंगल भी कहा जाता है।
- और, भारत में जम्मू और कश्मीर से लेकार हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड,
- सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश तक एक लम्वी पर्वत श्रंखला को,
- हिमालय के नाम से जाना जाता है,
- और, इसी लम्वी पर्वत श्रंखला में ही पर्वतीय वन पाए जाते है।
- तथा, इस वन की विशेषता यह है की,
- जैसे जैसे हिमालय की उच्चाई बढ़ती है,
- वैसे वैसे तापमान कम होती जाती है,
- उस समय, इस वन का आकार बदलता चला जाता है।
- और, हिमालय के जो ऊचे क्षेत्र होते है,
- जहा पर सिर्फ बर्फ गिरती रहती है,
- वहा पर पर्वतीय शंकुधारी वन देखने को मिलते है,
- और, यहा पर लाइकी नामक घास भी पाई जाती है।
- और, अधिक बर्फ गिरने के कारन इस क्षेत्र को,
- टुंड्रा वन के नाम से भी जाना जाता है।
- तथा, इस वन में चीड़, स्प्रूस आदि… पौधे पाए जाते है।
Desert forest | काटेदार झारी वन | मरुस्थलीय वन
- मरुस्थलीय वन भारत के मरुस्थल क्षेत्र में पाई जाती है।
- और, इस वन में सालाना 70 cm. से कम वर्षा होती है।
- तथा, मरुस्थलीय वन की विशेषता यह है की,
- इस वन में पेड़ो के पत्ते काफी छोटे और नुकीलदार होते है।
- क्यों की मरुस्थलीय वन में वर्षा की मात्रा,
- और, पानी की मात्रा कम होने के कारन,
- यह वन पानी को संचय करता है ताकि लंबे समय तक,
- यह अपना संतुलन और संरक्षण बनाये रख सके।
- इसके अलावा, इस वन में पौधे काटेदार के रूप में इसलिए होते है,
- क्यों की इसकी सहायता से यह पौधे अपने भोजन को बनाते है।
- और, इस वन में बबूल, खजूर, नागफनी आदि.. पाई जाती है।
- तथा, मरुस्थलीय वन भारत के राजस्थान, गुजरात, पंजाब,
- और, हरियाणा के कुछ क्षेत्र, मध्यप्रदेश,
- महाराष्ट्र, कर्नाटक के कुछ क्षेत्र आदि..में दिखाई देती है।
Mangrove forest | मैंग्रोव वन
- मैंग्रोव वन डेल्टा क्षेत्र में पाई जाती है।
- और, इन डेल्टा क्षेत्र को व्-द्वीप कहा जाता है।
- जब नदियाँ बहे कर के समुद्र पर मिलने जाते है, तो,
- अपने किनारो पर डेल्टा यानि व्-द्वीप का निर्माण करती है,
- और, इन व्-द्वीप में जो वन पाए जाते है, उसे मैंग्रोव वन कहा जाता है।
- और, भारत में सुंदरवन डेल्टा इस वन का सबसे अच्छा उदाहरण है।
- इसके साथ, मैंग्रोव वन में सुन्दरी नामक एक पौधा पाई जाती है,
- जिसके नाम पर ही सुंदरवन का नाम रक्खा गया है।
- और, यह सुंदरवन डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है।
- इसके साथ कृष्णा, गोदावरी नदियों के व्-द्वीप क्षेत्र में भी यह वन पाया जाता है।
- तथा, इस वन में जंगल झाड़ीदार होने के साथ साथ,
- एक दूसरे के साथ जकड़े हुए होते है।
- और, यह जंगल ज्यादा बड़े नही होते है।
- तथा, मैंग्रोव वन, समुन्दर के नमकीन पानी में भी जीवित रहने में सक्षम होते है।
- क्यों की इस वन के झाड़ीदार जंगल समुन्दर के नमकीन पानी को भी विशुद्ध कर,
- अपने हिसाब से संरक्षित करके जीवन को चलाने में परिपक्व होते है।
- और, समुन्दर के किनारे पाए जाने वाले इन मैंग्रोव वन में,
- सुनामी के दौरान आने वाली पानी की लहरें को भी,
- इसकी झाड़ीदार जंगल, कम करने की समता रखती है।
Reserved forest | आरक्षित वन
- आरक्षित वन जो होते है, वह पूर्ण रूप से सरकार के नियंत्रण में होते है।
- और, उस क्षेत्र में किसी भी मानव को जाने के लिए अनुमति नहीं होती है।
- तथा, लकड़ी काटना, मवेशिया चरना भी पुरे रूप से निषेध होते है।
Protected forest | संरक्षित वन
- संरक्षित वन भी सरकार के नियंत्रण में होते है।
- लेकिन, उसमे स्थानीय लोगो को लकड़ी लाने के लिए,
- और, मवेशिया को चराने के लिए जाने की अनुमति होती है।
- परन्तु, वन (forest) को नुकसान या वन को काटना निषेध होता है।
Some Important facts about Urban forestry in India
देखा जाये तो भारत में वनो को लेकर के कई बार नीति बनाई गई है। सबसे पहले 1894 में अंग्रेज सरकार द्वारा National forest policy को बनाया गया था। फिर भारत के आज़ादी के बाद भी कई forest policy बने थे। लेकिन, इन सभी policy में 1988 की जो National forest policy है वह काम कर रही है।
इसके साथ, 2017 में भारत सरकार द्वारा National forest policy की Report के अनुसार भारत में वनो की वृद्धि 24.39% था। इसीलिए, भारत सरकार ने वनो की ओर वृद्धि के लिए 33% वनो (forests) की प्राप्ति का लक्ष्य रखा है। और, भारत में मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा वन पाए जाते है। और, वहा पर वनो की वृद्धि लगभग 77,414 km. की क्षेत्रफल तक फैला हुआ है।
लेकिन, अगर percentage की हिसाब से देखा जाये तो सबसे ज्यादा वन मिजोरम में पाए जाते है। और, वहा पर लगभग 86% भागो में वन पाए जाते है। और, केंद्र शासित प्रदेशो में सबसे ज्यादा वन अंडमान नोकोबार द्वीप समूह में पाए जाते है। और, percentage के हिसाब से देखा जाये तो लक्षद्वीप क्षेत्र में लगभग 90% वन पाया जाता है। और, 2017 National forest policy के तहत आंध्र प्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्यों ने अपने वनो की विकास करने का प्रयास किया है।
Conclusion
दोस्तों उम्मीद करता हूँ Forestry in India की यह पोस्ट पड़कर आपसभी को अच्छा लगा हो। यदि यह पोस्ट आपसभी को पसंद आया है तो कृपया इन पोस्ट को Facebook, twitter, pinterest और Instagram जैसे Social Sites पर Share करे। और, यह पोस्ट पड़ने के लिए आपसभी का धन्यवाद।