Gupta Empire History Hindi | गुप्त साम्राज्य का इतिहास

नमस्कार दोस्तों Gupta Empire की यह पोस्ट में आपसभी का स्वागत है। आजके यह पोस्ट में हम Gupta Empire के बारे में विस्तार से जानेंगे। श्रीगुप्त ने गुप्त राजवंश के संस्थापक रूप में इस वंश को आगे बड़ाया और इस वंश में कई महान शासक हुए। सबसे पहले Gupta Empire में श्रीगुप्त का पुत्र घटोत्कचगुप्त राजा बना। उसके बाद घटोत्कच गुप्त के पुत्र चन्द्रगुप्त प्रथम राजा बने। और, चन्द्रगुप्त  प्रथम के बाद उनके पुत्र समुद्रगुप्त राजा बने। समुद्रगुप्त के प्रश्चात उनके पुत्र रामगुप्त राजा बने। रामगुप्त के बाद उनके छोटा भाई चन्द्रगुप्त द्वितीय राजा बने। और, इनकी शासनकाल को स्वर्णयुग भी कहा गया है। चन्द्रगुप्त द्वितीय के बाद कुमारगुप्त प्रथम राजा बने। कुमारगुप्त प्रथम के बाद उनके पुत्र  स्कन्दगुप्त इस वंश के राजा बने थे।

स्कंदगुप्त की मृत्य के प्रश्चात पुरुगुप्त राजा बना। पुरुगुप्त, कुमारगुप्त का पुत्र था और स्कन्दगुप्त का सौतेला भाई था। पुरुगुप्त के तीन पुत्र थे कुमारगुप्त द्वितीय, बुधगुप्त और नरसिंहगुप्त बालादित्य। और, पुरुगुप्त के बाद उनका उत्तराधिकारी कुमारगुप्त द्वितीय राजा बने। कुमारगुप्त द्वितीय के बाद बुधगुप्त ने गुप्त साम्राज्य पर शासन किया। उसके बाद नरसिंहगुप्त बालादित्य इस गुप्त साम्राज्य के आखरी शक्तिशाली राजा थे। नरसिंहगुप्त के प्रश्चात उनके पुत्र कुमारगुप्त तृतीय राजा बना।  कुमारगुप्त तृतीय के प्रश्चात उनके पुत्र दामोदरगुप्त ने शासन किया। और, आखिर में महासेनगुप्त इस साम्राज्य में शसन किया था। लेकिन तबतक गुप्त राजवंश कमजोर हो गया था। और, लम्बी अवधि के बाद Gupta Empire का पतन हो गया था। इसके साथ गुप्त काल में कई महान कवि और विद्वान् हुए थे। तथा, संस्कृति और साहित्य का भी अच्छा प्रसार हुआ था।

The Gupta Empire in Ancient India

  • Gupta Empire की नींव तीसरी तथा चौथी शताब्दी की शुरुआत में हुआ था।
  • मौर्याकाल की तीसरी शताब्दी ईस्वी में तीन राजवंशो का उदय हुआ था।
  • जिनमे मध्य भारत में नाग  शक्ति, दक्षिण भारत  में वाकाटक शक्ति तथा पूर्वी भारत में गुप्त वंश की शक्ति प्रमुख थे।
  • मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनः स्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को जाता है।
  • गुप्त राजवंश प्राचीन भारत के सभी राजवंशों में से प्रमुख  एक राजवंश  था।
  • तथा, इस गुप्त वंश का प्राचीन शुरुवाती राज्य आधुनिक भारत के उत्तर प्रदेश तथा बिहार है।
  • गुप्त साम्राज्य के प्रारंभिक शुरूवात 280 ईशा के आसपास थी। 
  • लेकिन, इस साम्राज्य के पूर्ण शासन काल 319 ईसा से 540 ईसा तक थी। 

इन्हे भी पड़े हिंदी में Post-Gupta period

Kings Shreegupta and his son Ghatotkachgupta

  • Gupta Empire में संस्थापक के रूप में श्रीगुप्त को जाना जाता है।
  • हालांकि पूना ताम्रपत्र अभिलेख में श्रीगुप्त को ‘आदिराज’ कहकर  सम्बोधित  किया गया है।
  • यानि श्रीगुप्त  किसी के अधीन शासक था।
  • क्यों की उस समयकाल में महाराजा की उपाधि  ‘सामन्तों’  को प्रदान की जाती थी,
  • इसीलिए  श्रीगुप्त  भारशिवों  शासक के अधीन प्रयाग राज्य का शासक था। 
  • श्रीगुप्त के  वाद  इस  राजवंश में श्रीगुप्त का पुत्र  घटोत्कच गुप्त प्रथम राजा बना।
  • 280 ईसा के आसपास  गुप्त  साम्राज्य  में पहले राजा हुये।
  • इस साम्राज्य  में  शासक  घटोत्कच का राज्य मगध के आस-पास तक ही सीमित था।
  • और, लगभग 467 ईसा तक यह साम्राज्य का राज था। 
  • और,  प्रारम्भिक  गुप्त राजाओं का साम्राज्य  गंगा द्रोणी, प्रयाग, साकेत (अयोध्या) तथा  मगध  तक फैला फैला हुआ था।                    

King Chandragupta I

  • Gupta Empire में  घटोत्कच गुप्त के बाद उनके पुत्र चन्द्रगुप्त  प्रथम  राजा बने  थे।  
  • इस साम्राज्य  के  चन्द्रगुप्त  प्रथम  स्वतन्त्र  मगध  शासक था।
  • चन्द्रगुप्त प्रथम  का  शासन  काल 320  ईसा  से 334  ईसा के आसपास  थी।
  • और, उन्होंने  मगध  साम्राज्य  को  विस्तृत करने के लिए लिच्छवि राज्य से भी संबंध जोड़े थे,
  • लिच्छवि के राजकुमारी कुमारदेवी के साथ चन्द्रगुप्त प्रथम का विवाह हुआ था।
  • जिसके फलस्वरूप, मगध लिच्छवि राज्य के क्षेत्र में समाहित हो गया।
  • और, इस सम्बन्ध को स्थापित करके चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने राज्य  मगध को राजनैतिक दृष्टि से सुदृढ़ तथा आर्थिक दृष्टि  से समृद्धशाली बना दिया था।
  • तथा, चन्द्रगुप्त प्रथम ने कौशाम्बी और कौशल जैसे राज्यों के महाराजाओं  को भी जीत लिया था।
  • और, अपने राज्य  में  समाहित  करने  के साथ साथ साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र  में  स्थापित कर दी थी।
  • चन्द्रगुप्त  प्रथम  ने  ‘महाराजा धिराज’  की उपाधि  प्राप्त की थी।
  • और, चन्द्रगुप्त  प्रथम  के शासनकाल  में  ही  उन्होंने  अपने  विवाह  की स्मृति  में  कुमार  देवी  तथा उनके चित्र  के सिक्के भी  चलाए थे।                  

Gupta Empire king Samudragupta

  • Gupta Empire में चंद्रगुप्त प्रथम के प्रश्चात उनके पुत्र समुद्रगुप्त  इस  राजवंश का राजा बने थे।    
  • समुद्रगुप्त कुमारदेवी तथा चंद्रगुप्त प्रथम का पुत्र था।
  • और, समुद्रगुप्त 335 ईसा से 380 ईसा पूर्व तक अपने राजगद्दी पर शासन किया था।
  • इस साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र  थी।
  • समुद्रगुप्त प्राचीन भारतीय  इतिहास  में गुप्त राजवंश का असाधारण सैनिक योग्यता वाला एक महानतम शासक था।
  • और, हरिषेण  जेसे विद्बान इनके साम्राज्य के मन्त्री तथा दरबारी कवि थे ।
  • इसके साथ  वे समुद्रगुप्त की राजसभा के एक महत्वपूर्ण  सभासद  भी थे।
  • और,  इन्होने  प्रसिद्ध कृति ‘प्रयाग प्रशस्ति’ में समुद्रगुप्त की वीरता का वर्णन किया है।
  • समुद्रगुप्त  को  नेपोलियन की भी उपाधि  दी गई थी।
  • समुद्रगुप्त का महत्वपूर्ण अभियान दक्षिण की तरफ़ था।
  • और, उन्होंने दक्षिण में बारह विजयों किये थे।  
  • और, समुद्रगुप्त एक अच्छे शासक होने के साथ साथ वे एक संगीतज्ञ, कवि और कला के जानकर भी थे।
  • तथा, गुप्त साम्राज्य में समुद्रगुप्त का शासनकाल  राजनैतिक विस्तार और प्रसिद्ध  सांस्कृतिक दृष्टि कोण के कारण  इसे प्रतिष्ठा काल भी माना गया है।
  • इसके साथ समुद्रगुप्त ने लिच्छवियों के दूसरे राज्य नेपाल को भी अपने राज्य में मिला लिया था।
  • समुद्रगुप्त ने एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया जो की उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में विन्ध्य पर्वत तक था।  
  • तथा, पूर्व में बंगाल की खाड़ी से पश्चिम में पूर्वी मालवा तक विस्तृत था।
  • लेकिन, सिन्ध, गुजरात, कश्मीर और पश्चिमी राजस्थान को छोड़कर समस्त उत्तर भारत इस साम्राज्य में सम्मिलित था।
  • तथा,  दक्षिण के शासक तथा पश्चिम भारत की विदेशी शक्तियाँ भी इनकी अधीनता को स्वीकार करती थीं।
  • और, समुद्रगुप्त ने भी ‘महाराजाधिराज’ की उपाधि को धारण की थी।             
  • इस साम्राज्य में समुद्रगुप्त ने सर्बप्रथम अश्वमेध यज्ञ भी कराये थे। 

Gupta King Ramagupta

  • 380 ईसा में समुद्रगुप्त का देहान्त के प्रश्चात, उनके पुत्र रामगुप्त Gupta Empire के राजा बने।
  • और, रामगुप्त के छोटे भाई चन्द्रगुप्त द्वितीय थे।
  • लेकिन, रामगुप्त एक कायर राजा था।
  • जिसके चलते वे शकों द्वारा पराजित होने वाद एक अपमान जनक सन्धि कर अपने पत्नी ध्रुवस्वामिनी को शकराजा के पास  भेंट  कर  दिया था ।  
  • इसी के  कारण  रामगुप्त  निन्दनीय  के पात्र  हो  गया था।
  • लेकिन, रामगुप्त के छोटे भाई चन्द्रगुप्त द्वितीय  बड़ा ही पराक्रमी तथा स्वाभिमानी था।
  • चन्द्रगुप्त  द्वितीय ने ध्रुवस्वामिनी को उद्धार किया।
  • और, अपने बड़े भाई  रामगुप्त की हत्या कर 375 इसा में चन्द्रगुप्त द्वितीय ने राजगद्दी पर आसीन हुये ,
  • तथा, ध्रुवस्वामिनी से विवाह कर उन्हें  अपना पत्नी बना लिया,
  • और, सुचारु रूप से शासन करने लगे थे।        

Gupta Empire king Chandragupta II Vikramaditya (Golden Age)

  • चन्द्रगुप्त द्वितीय गुप्त साम्राज्य की शासक बनने के वाद ,
  • उन्होंने वसुबन्धु  को अपने  दरबारी मन्त्री के रूप में नियुक्त किया था।
  • वसुबन्धु जो की प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान थे।
  • तथा, शकों के ऊपर  भी चन्द्रगुप्त  द्वितीय ने बिजय हासिल की थी।
  • जिसके कारण  इनकी साम्राज्य की शक्ति और बड़ गई थी।
  • चन्द्रगुप्त  द्वितीय  ने नाग  राजवंश के साथ  भी  वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित की थी।
  • उन्होंने, नाग राजकुमारी कुबेर नागा के साथ विवाह किया था।
  • और, राजकुमारी कुबेर नागा ने  एक कन्या को जन्म दिया था।
  • इस कन्या की नाम प्रभावती गुप्त थी।
  • तथा, चन्द्रगुप्त  द्वितीय ने अपने साम्राज्य का और बिस्तार करने के लिए वाकाटकों राजवंश के साथ वैवाहिक सम्बन्ध भी जोड़े थे।
  • उन्होंने अपने पुत्री प्रभावती गुप्त की विवाह वाकाटक नरेश रूद्रसेन द्वितीय के साथ कर दिया था।
  • और, वाकाटकों और गुप्तों की सम्मिलित शक्‍ति से शकों का उन्मूलन कर दिया किया था।
  • चन्द्रगुप्त  द्वितीय  अपने साम्राज्य की परिपक्क शासक होने के साथ साथ वे उच्चकोटि का विद्वान तथा विद्या का उदार संरक्षक भी था।
  • और, वे एक  महान  संगीतज्ञ भी थे, जिसे वीणा वादन का शौक था।
  • तथा, उन्हें कविराज भी कहा गया है।
  • और, अशीम पराक्रमी के कारण वे विक्रमादित्य के नाम से भी संसार में प्रसिद्ध हुये थे।
  • तथा, चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल को स्वर्ण युग भी कहा गया है।             

The winning sequence of Chandragupta II

  • शकों पर विजय प्राप्त करने के बाद चन्द्रगुप्त द्वितीय ने अपने साम्राज्य को केवल मजबूत नही किया,
  • बल्कि उसका पश्चिमी समुद्र पत्तनों पर भी अधिपत्य स्थापित कर दिया था।
  • और, इस विजय के पश्चात चन्द्रगुप्त  द्वितीय ने आपने Gupta Empire की राजधानी को  उज्जैन में स्थापित कर दिया था।
  • इनका साम्राज्य पश्‍चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में बंगाल तक तथा उत्तर में हिमालय की तापघटी से दक्षिण में नर्मदा नदी तक विस्तृत था।
  • तथा, उनके शासनकाल में ही चीनी बौद्ध यात्री फाहियान भारत आये थे। 
  • फाहियान ने 399 ईस्वी से 414 ईस्वी तक भारत की यात्रा की थी।
  • चन्द्रगुप्त  द्वितीय ने सबसे पहले  शकों द्वारा परेशानी करने वाली गुजरात के काठियावाड़ तथा पश्‍चिमी मालवा को 389 ईसा से  412 ईसा के मध्य में आक्रमण कर विजित किया था।
  • उसके वाद, चन्द्रगुप्त द्वितीय ने सिन्धु के पाँच मुखों को पार कर वाहिकों पर विजय प्राप्त की थी।
  • तथा,  वाहिकों का समतुल्य कुषाणों के समरूप पाया गया है।
  • उसके प्रश्चात, उन्होंने बंगाल के शासकों के संघ के ऊपर विजय प्राप्त किया था।
  • महाशैली स्तम्भ लेख  के अनुसार यह सभी के ऊपर चन्द्रगुप्त द्वितीय ने विजय पाई थी।
  • और, अपने साम्राज्य में विलीन कर विस्तृत कर दिया था।
  • चन्द्रगुप्त  द्वितीय की  शासनकाल में ही उन्होंने अपने दरबार में विद्वानों तथा कलाकारों को आश्रय प्रदान किया था।
  • उनके दरबार में विशाखदत्त, शूद्रक, ब्रम्हगुप्त, विष्णुशर्मा, भास्कराचार्य, अमरसिंह, शंकु, वाराहमिहिर, आर्यभट्ट, विशाखदत्त, धन्वन्तरि और कालिदास  जैसे नौ  रत्न  थे।
  • जो इस दरबार के गौरव थे।
  • और, 414  ईसा में चन्द्रगुप्त द्वितीय की मृत्यु हो गई थी।      
Gupta Empire
Gupta Empire

Gupta Empire king Kumaragupta I

  • चन्द्रगुप्त द्वितीय की मृत्यु के बाद 415 ईसा में उनके पुत्र कुमारगुप्त प्रथम ने Gupta Empire की राजगद्दी संभाली थी।
  • वह चन्द्रगुप्त द्वितीय की पत्नी ध्रुवदेवी की सबसे बड़ा पुत्र था।
  • तथा, गोविन्दगुप्त उनका छोटा भाई था।
  • और, वे वैशाली  का राज्यपाल था।
  • इसके साथ कुमारगुप्त प्रथम ने अपने शासनकाल में भी समुद्रगुप्त की समरूप दक्षिण भारत में  विजय अभियान चलाया था।
  • और, कुमारगुप्त ने भी समुद्रगुप्त की  तरह अश्‍वमेध यज्ञ कराये थे,
  • तथा, समुद्रगुप्त की तरह कुमारगुप्त प्रथम ने भी सिक्के चलाये थे।
  • और, मिलरक्द अभिलेख से मालूम परता हे की,
  • कुमारगुप्त प्रथम का शासनकाल सुव्यवस्था तथा शान्ति का शासनकाल था।
  • उन्होंने अपने साम्राज्य को  संयोजित और सुखद बनाये रखा था।
  • कुमारगुप्त प्रथम ने भी समुद्रगुप्त और चन्द्रगुप्त प्रथम तथा द्वितीय की तरह कई उपाधियाँ धारण कीं थी।
  • श्री महेन्द्र सिंह, महेन्द्र कुमार,  महेन्द्रा दिव्य और श्री महेन्द्र जैसे उपाधियाँ उनके अधिकार में था।
  • कुमारगुप्त प्रथम के शासनकाल में ही नालन्दा विश्‍वविद्यालय  की स्थापना की गई थी।
  • और, 455 ईसा में कुमारगुप्त प्रथम की मृत्यु हो गई थी।
  • कुमारगुप्त ने चालीस वर्षों तक अपने साम्राज्य पर  शासन किया था।
  • इसके इलावा, कुमारगुप्त प्रथम स्वयं एक  वैष्णव धर्मानुयायी था।
  • और, उन्होंने धर्म सहिष्णुता नीति का भी पालन किया था।        

Gupta Empire king Skandagupta

  • कुमारगुप्त प्रथम की मृत्यु के समय ही पुष्यमित्र ने Gupta Empire पर आक्रमण किया था।
  • पुष्यमित्र उत्तर भारत के एक महान राजा थे।
  • और, वे शुंग साम्राज्य  के संस्थापक भी थे।
  • लेकिन, कुमारगुप्त प्रथम की पुत्र स्कन्दगुप्त ने पुष्यमित्र को युद्ध में परास्त कर दिया था।
  • और, 455 ईसा में गुप्त साम्राज्य के राजा के रूप में सिंहासन पर बैठा था।
  • उन्होंने, बारह वर्ष तक साम्राज्य में शासन किया था।
  • तथा, विक्रमादित्य, क्रमादित्य आदि उपाधियाँ भी धारण कीं थी।
  • स्कन्दगुप्त के शासनकाल में ही उन्हें कई प्रकार के कठिनाइओ और  परेशानीओ  का सामना करना पड़ा था।
  • जैसे, उनके  शासन काल  में  भारी वर्षा  के कारण  मौर्यकाल में बनी सुदर्शन झील का बाँध टूट गया था।
  • जिसके चलते दो माह के भीतर स्कन्दगुप्त ने अपने प्रचुर धन को व्यय करके पत्थरों की जड़ाई द्वारा उस झील के बाँध  को पुनर्निर्माण करवा दिया था।
  • लेकिन, सबसे अधिक परेशानी स्कन्दगुप्त को हूणों कबीले की लोगो ने किया था।
  • हूण एक लुटेरी और जंगली जाति थी,
  • और, जिनका मूल स्थान वोल्गा के पूर्व में था।
  • वोल्गा यूरोप की एक नदी है।
  • और, इन्ही हूणों की एक शाखा ने हिंदुकुश पर्वत को पार करके फ़ारस तथा भारत की ओर रुख किया था।
  • तथा,  हूणों ने  सबसे पहले गांधार पर कब्जा कर लिया और फिर गुप्त साम्राज्य (Gupta Empire) पर आक्रमण कर दिया था।
  • लेकिन, स्कंदगुप्त ने इसी हूणों की आक्रमण पर इस जंगली जाति को करारी शिकस्त दी थी।
  • जिसके चलते अगले 50 वर्षों तक हूणों ने भारत की तरह रुख नहीं किया।
  • और, इसी गुप्त राजवंश में स्कन्दगुप्त आखिरी शक्तिशाली सम्राट थे।
  • इसके इलावा स्कन्दगुप्त एक उदार शासक भी था,
  • जिन्हे, प्रजा के सुख-दुःख प्रति निरन्तर चिन्ता रहती थी।
  • और, उनकी मृत्यु  467 ईसा में हुई थी।   
Decline Gupta Empire
  • स्कंदगुप्त की मृत्य के प्रश्चात  पुरुगुप्त गुप्त राजसिंहासन पर बैठा था।
  • लेकिन बृद्ध होने के कारण वे सुचारु रूप से अपने शासन को चला नही पाये थे।
  • पुरुगुप्त कुमारगुप्त का पुत्र था। 
  • और, स्कन्दगुप्त का सौतेला भाई था।
  • तथा, कुमारगुप्त द्वितीय, बुधगुप्त और नरसिंहगुप्त बालादित्य पुरुगुप्त के पुत्र थे।
  • पुरुगुप्त के वाद 445 ईसा में कुमारगुप्त द्वितीय ने Gupta Empire पर शासन किया था।
  • तथा, कुमारगुप्त द्वितीय के प्रश्चात बुधगुप्त ने 475 ईसा से  495 ईसा तक गुप्त राजवंश पर शासन वनाये रखे थे।
  • बुधगुप्त के प्रश्चात उनका छोटा भाई नरसिंहगुप्त बालादित्य ने शासन किया था।
  • पुरुगुप्त के सभी पुत्र में से नरसिंहगुप्त बालादित्य सबसे शक्तिशाली तथा पराक्रमी था।
  • और, इन्होने जंगली कविले हूणों के निष्ठुर राजा मिहिरकुल को भी पराजित कर दिया था।
  • नालन्दा मुद्रा लेख में नरसिंहगुप्त को परम भागवत के रूप भी कहा गया है।
  • नरसिंहगुप्त के बाद उसका पुत्र कुमारगुप्त तृतीय मगध के राजा बना था।
  • इसके प्रश्चात कुमरगुप्त तृतीय के मृत्यु के बाद उसका पुत्र दामोदरगुप्त ने शसन किया था।
  • और, दामोदरगुप्त के बाद उनका पुत्र  महासेनगुप्त शासक बना था।
  • उन्होंने असम नरेश सुस्थित वर्मन को भी पराजित किया था।
  • तथा, महासेनगुप्त के निधन के बाद उनके पुत्र देवगुप्त और उसके  प्रश्चात  माधवगुप्त इस गुप्त साम्राज्य के शासक थे।
  • लगभग 200 – 260 वर्षों के आसपास  गुप्त साम्राज्य ने  शासन किया था।
  • और,  फिर इस साम्राज्य की नीव कमजोर हो गई थी।  
  • जिसके कारण, 540 ईसा के आसपास गुप्त साम्राज्य का पतन हो गया था।              
Administration of the Gupta Empire
  • गुप्त प्रशासन अत्यधिक विकेन्द्रीकृत था,
  • वंशानुगत अनुदानों में यह अर्थव्यवस्था के अर्ध – सामंती चरित्र को दर्शाता है।
  • इसमें स्वयं शासित जनजातियों और जनजातियों के राज्यों का एक संघ शामिल था।
  • जो गुप्त के प्रमुख अक्सर शाही शक्तियों के प्रतिनिधियों के रूप में कार्य करते थे।
  • इस प्रशासन में  राजाओं को मंत्रिपरिषद के एक मंत्री द्वारा सहायता प्रदान की जाती थी।
  • इस तरह की एक परिषद का अस्तित्व प्रयाग स्तंभ शिलालेख में निहित है,
  • जो सिंहासन के लिए समुद्रगुप्त के चयन पर ‘सभा’ सदस्यों की प्रसन्नता की बात करता है।
  • गुप्त राजाओं ने महादृज, सम्राट, एकधिराज, चक्रवर्तिन जैसे अतिरंजित उपाधियाँ लीं थी,
  • जो उनके बड़े साम्राज्य और साम्राज्यवादी स्थिति को दर्शाते थे।
  • तथा, राजकुमार को नियुक्त  करने की प्रथा प्रचलन थी।
  • और, कुमारमात्य ने गुप्तों के अधीन उच्च अधिकारियों की भर्ती के लिए मुख्य कैडर का गठन भी किया था।
  • जिसमे मंत्री, सेनापति, न्याय के महादंदनायका मंत्री नियुक्त होके आते थे,
  • इसके साथ  शांति और युद्ध के संधिविग्रह मंत्री भी थे,
  • जिन्हें आनुवंशिक रूप से चुना जाता था।
  • संधिविग्रह का कार्यालय सबसे पहले समुद्रगुप्त के अधीन आता था।
  • जिसके लिए  हरिषेण को उन्होंने इस पद के लिए नियुक्त किया था।
  • इसके इलावा अन्य महत्वपूर्ण अधिकारी भी थे, जैसे शाही महल की महाप्रतिहार, प्रमुख, घुड़सवार सेना की प्रमुख महाशवपति, हाथी वाहिनी के प्रमुख,
  • तथा, नगर-रक्षक विभाग के मुख्य अधिकारी आदि  ..
Administrative Unit of the Gupta Empire
Gupta Empire Administrative Unit
Gupta Empire Administrative Unit
  • गुप्त काल के प्रान्त को भुक्ति कहा जाता था।
  • जिनमे से कुछ महत्वपूर्ण भुक्ति थे, पूर्वी मालवा, पश्चिमी मालवा, मगध, बर्धमान, पुंड्रवर्धन, तेराभुक्ति उत्तरेन बिहार, सौराष्ट्र, बर्धमान और मगध
  • और, शहर का प्रदर्शन के लिए एक परिषद था,
  • जिसे पौर कहा जाता था,
  • जिसमे, नगर निगम के अध्यक्ष, मुख्य लेखाकार, कारीगरों के एक प्रतिनिधि और व्यापारियों के श्रेणी के मुख्य प्रतिनिधि शामिल थे।
  • जबकि मौर्यों के तहत, शहर समिति को मौर्य सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था,
  • और, गुप्तों के तहत, इसमें स्थानीय प्रतिनिधि शामिल थे।
  • तथा, गुप्त काल के दौरान ही प्रशासनिक अधिकार का विघटन शुरू हुआ था।
  • और, इस गुप्त शासनकाल में ही ग्राम प्रधान पहले की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हो गए थे।
  • इस गुप्त काल में पहली बार नागरिक और आपराधिक कानून को स्पष्ट रूप से परिभाषित और परिसीमित  किया गया था।
  • तथा, गुप्त राजा मुख्यतः रूप से भूमि राजस्व पर निर्भर थे,
  • जो की 1/4 से 1/6 बिच में उत्पादन के ऊपर कर  संचित करते थे।
  • और, गुप्त काल में सेना जब ग्रामीण इलाकों से गुजरते थे,
  • उहा के लोगों द्वारा सेना को खिलाया जाता था,
  • और,इस कर को सेनाभक्त कहा जाता था। 
  • तथा, ग्रामीणों को भी शाही सेना और अधिकारियों की सेवा के लिए वशिष्ठ नामक श्रम के अधीन किया गया था।
  • गुप्त काल में भूमि से जुड़ी अग्रहरा और देवघर जैसे अनुदान शामिल था।
  • और, भूमि अनुदान में नमक और खानों पर शाही अधिकारों का एकाधिपत्य हस्तांतरण था।
The economy of the Gupta Empire
  • गुप्त शासनकाल में अर्थव्यवस्था भूमि के अंतर्गत था।
  • गुप्त काल में भूमि को पांच समूहों में वर्गीकृत किया गया था।
  • जैसे की क्षत्रभूमि कृषि योग्य भूमि में वर्गीकृत था।
  • तथा, खिला को  बंजर भूमि में भाग किया गया था।
  • और, वास्तु भूमि को रहने योग्य भूमि तथा चरगाह भूमि को चरागाह भूमि में वर्गीकृत किया गया था।
  • इसके साथ अपराजत भूमि को  वन भूमि में भाग किया गया था।
  • और, पुष्पाला नामक एक अधिकारी ने जिले में सभी भूमि के भूमि हस्तांतरण के अभिलेख (record) को बनाए रखा था।
  • तथा, गुप्तों ने स्थानीय विनिमय के लिए अच्छी संख्या में चांदी के सिक्के भी जारी किए थे।
  • और, लम्बी अवधि के व्यापार में गुप्त अवधि में गिरावट देखी गई थी।
  • क्यों की तीसरी शताब्दी ईस्वी के बाद रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार में गिरावट आई थी।
  • और, भारतीय व्यापारियों ने दक्षिण पूर्व एशियाई व्यापार पर अधिक भरोसा करना शुरू कर दिया था।
  • जिसके चलते व्यापार वेवस्ता की रफ़्तार धीमी हो गई थी। 
  • और, गुप्तकाल में  सभी प्रान्त पर व्यापार को संभालने के लिए कुछ विशेष थे।
  • जैसे पूर्वी तट के बंदरगाह को ताम्रलिप्ति  और  घंटशाला संभालते थे।
  • तथा, दक्षिण पूर्व एशिया के साथ उत्तर भारतीय व्यापार को कंदूरा संभालते थे।
  • और, पश्चिमी तट की भार भड़ौच, चुल तथा कल्याण  के ऊपर थी।
  • तथा, कैम्बे ने भूमध्य और पश्चिम एशिया के साथ व्यापार किया था।
Culture of the Gupta Empire
  • गुप्त काल में वास्तुकला के प्रति विशेष जोर दिया गया था।
  • और, वास्तुकला को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया था। जैसे,

‘’चट्टान को काटा गया गुफाएँ’’ :

Rock Cut Caves
  • एलोरा समूह (महारास्ट्र) और बाग (मध्य प्रदेश)

‘’संरचनात्मक मंदिर’’ :  

Structural Temples
  • देवगढ़ (झांसी जिला, यूपी), भूरा का शिव मंदिर (नागोद, एमपी), विष्णु और कंकाली मंदिर (तिगावा, एमपी), नचना कुथवा का पार्वती मंदिर (पन्ना जिला, एमपी), खोह का शिव मंदिर ( सतना, पन्ना, एमपी), भितरगाँव के कृष्ण ईंट मंदिर (कानपुर, उत्तर प्रदेश), सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर (लक्ष्मण, एमपी), तथा विष्णु मंदिर और वराह मंदिर (एमपी)

‘’स्तूप’’ :

Stupas
  • मीरपुर खास (सिंध), धम्मेख (सारनाथ), और  रत्नागिरी (उड़ीसा)
  • तथा, इस साम्राज्य ने वास्तुकला की महान ऊंचाइयों को प्राप्त किया था।
  • नागर शैली (शिखर शैली) को  विकसित करके, गुप्त कला ने भारतीय वास्तुकला के इतिहास में प्रवेश किया था।
  • गुप्त काल में  मंदिरो की वास्तुकला सबसे विशिष्ट  विशेषताओं  में से एक थी।
  • और, मंदिर की वास्तुकला अपने गर्भगृह (श्रीनाथ कक्ष) के साथ जिसमें भगवान की प्रतिमा रखी गई थी, गुप्तकाल से शुरू हुई थी।
  • देवगढ़ के दशावतार मंदिर के अवशेष, सबसे अलंकृत और खूबसूरती से बना गुप्ता मंदिर भवन का उदाहरण है।
  • और, पहली बार हमें विष्णु, शिव और अन्य देवताओं के चित्र भी इस अवधि में मिलते हैं।
  • बुद्ध की सबसे अच्छे छवियों के नमूने में से सारनाथ का एक बैठा हुआ बुद्ध चित्र है,
  • जो बुद्ध को धम्म का उपदेश देता हुआ दर्शाता है।
  • तथा, ब्राह्मणवादी चित्रों में से शायद सबसे प्रभावशाली उदयगिरि में एक गुफा के द्वार पर राहत के रूप में उकेरा गया था।
  • इस काल की चित्र बाग (धार जिला, एमपी) और अजंता (औरंगाबाद जिला, महाराष्ट्र) में पाई जाती है। 
The literature of the Gupta Empire
  • गुप्त काल की अवधि में कुछ पुरानी धार्मिक हिंदू ग्रंथ/पुस्तकें लिखी गईं थी।
  • जैसे मनु स्मृति, मत्स्य पुराण, विष्णु पुराण, अर्थात वायु पुराण, रामायण और महाभारत,
  • और, कुछ बौद्ध पाठ थे विशुदिमाग (बौद्धघोष) तथा अभिधर्मा कोष (दिग्नागा)
  • और, जैन पाठ थे  न्यवतारम (सिद्देना)
  • इसके साथ कुछ महर्तपूर्ण साहित्य भी थे,
  • जैसे धर्मनिरपेक्ष साहित्य में प्रमुख थे, कुमारसम् भावम्, रघुवंशम, मेघदूतम्, अभिज्ञान शाकुण तालम् (कालिदास), ऋतुसम्हर (प्रथम काव्य), मालविकाग्निमित्र (पहला नाटक), पंचतंत्र (विष्णु शर्मा), मुदर्रक्ष (विशाखदत्त), किरातार्जुनीय (भैरवी), विक्रमवृष्टि यम और कामसूत्र (वात्स्यायन)
  • और, कुछ वैज्ञानिक साहित्य थे, वृहत् संहिता, लगहु जातक (वाममहिरा), वृहत् जातक, अष्टांग हृदय चिकित्सा (वाग्भट्ट), आर्यभटीय, सूर्य सिद्धान्त (आर्यभट्ट), नवनिधिम (धन्वंतरि), ब्रह्मसिद्धांत (ब्रह्मगुप्त) तथा पंच सिद्धान्तक
  • और, इनमे से कुछ साहित्य को अंग्रेजी में भी अनुवाद किया गया था।
  • जैसे मनुस्मृति तथा अभिज्ञान शकुंतलम (यानी शकुंतला की मान्यता) का अनुवाद विलियम जोन्स द्वारा अंग्रेजी में किया गया था।
  • और, ‘अभिज्ञान शकुंतलम साहित्य को कालिदास द्वारा लिखा गया था।
  • इसके साथ कालिदास को भारत का शेक्सपियर भी कहा जाता है,
  • तथा, कामसूत्र के ऊपर सबसे शुरुआती किताब भी है।
  • और, वैज्ञानिक साहित्य ब्रह्मसिद्धांत का अनुवाद ‘सिंध-हिंद’ के तहत किया गया था।
  • तथा, शहर के जीवन के यथार्थवादी, गुणी दरबारी वसंतसेना की प्रेम कहानी, मृच्छकटिका (यानी मिट्टी की गाड़ी) और एक गरीब ब्राह्मण चारुदत्त जैसे कुछ चित्रण भी उल्लेखनीय है।

दोस्तों आशा करती हु की यह पोस्ट पड़कर आप सभी को अच्छा लगा हो। क्यों की, सरल तरीके से Gupta Empire को वर्णन किया गया है। यदि यह पोस्ट पड़कर आपसभी को पसंद आया है तो, कृपया यह पोस्ट को Facebook, twitter, pinterest and Instagram जैसे Social sites पर शेयर करे। इसके साथ निम्न में दिए गए गुप्त साम्राज्य की ‘’सामाजिक स्थिति’’ के बारे में पड़े। और, यह पोस्ट पड़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद।

Gupta Empire Society
  • Gupta Empire में समाज की वर्ण व्यवस्था को जातियों के प्रसार के कारण परिवर्तित किया गया था।
  • और, इस समाज में  मुख्य रूप से  तीन उपादान थे,
  • जैसे बड़ी संख्या में विदेशियों को भारतीय समाज में आत्मसात किया गया था।
  • तथा, उन्हें क्षत्रिय के रूप में जाना जाता था।
  • और, भूमि अनुदान के माध्यम से ब्राह्मणवादी समाज में आदिवासी लोगों का एक बड़ा अवशोषण हुआ था।
  • इसके साथ आरोपित जनजातियों को शूद्र वर्ण में समाहित कर लिया गया था।
  • तथा, व्यापार और शहरी केंद्रों की गिरावट और शिल्पों के स्थानीय चरित्र के परिणामस्वरूप शिल्पियों के समाज को अक्सर जातियों में बदल दिया जाता था।
  • और, इस अवधि में  शूद्रों के सामाजिक पदों में सुधार के साथ साथ उन्हें महाकाव्यों और पुराणों को सुनने के भी अनुमति थी।
  • तथा, कृष्ण नामक देवता की पूजा भी शूद्रों द्वारा किया जाता था।
  • और, तीसरी शताब्दी के बाद से ही समाज में अस्पृश्यता का प्रचलन तेज हो गया था।
  • इस अवधि में महिलाओं की स्थिति भी खराब हो गई थी।
  • तथा, बहुविवाह प्रचलन सामान्य था।
  • और, महिलाओं के आभूषण और वस्त्रों के रूप में स्त्रीधन के अलावा किसी भी संपत्ति के अधिकार से वंचित कर दिया गया था।
  • गुप्त शासक के संरक्षण में, वैष्णववाद बहुत लोकप्रिय था।
  • क्यों की देवताओं की संबंधित संघों के साथ उनकी एकता द्वारा लोकप्रियता मूर्ति को सक्रिय किया गया था।
  • जिससे  विष्णु के साथ लक्ष्मी का जुड़ाव तथा पार्वती का शिव के साथ जुड़ाव हो गया था।
  • और, इसी गुप्त काल से ही मूर्ति पूजा हिंदू धर्म की एक सामान्य विशेषता बन गई थी।
  • तथा, इस अवधि में ही वज्रयानिज्म और बौद्ध तांत्रिक पंथों के विकास काल था।  

इसके साथ Gupta Empire पोस्ट से जुड़ी हुई कुछ प्रश्न और उत्तर निम्न में दिए गए है, इसे पड़े

Most Important Question and Answer in the Gupta Empire Post

1. गुप्त वंश का संस्थापक कौन था?

a. स्कन्दगुप्त

b. चंद्रगुप्त प्रथम

c. श्रीगुप्त

d. समुद्रगुप्त

Ans. c. श्रीगुप्त

2. कुमारसंभवम् एक महाकाव्य को किसके द्वारा रचा गया था?

a. कालिदास

b. बाणभट्ट

c. चंदबरदाई

d. हरिषेण

Ans. a. कालिदास

3. प्रसिद्ध चीनी तीर्थयात्री फाह्यान ने किस शताब्दी में भारत की यात्रा की थी?

a. 7 वीं शताब्दी ई.

b. 4 वीं शताब्दी ई.

c. 5 वीं शताब्दी ई

d. 6 वीं शताब्दी ई.

Ans. c. 5 वीं शताब्दी ई

4. कालिदास ने निम्नलिखित में से किस राजवंश के शासनकाल में उत्कर्ष किया था?

a. गुप्त

b. नंदा

c. मौर्य

d. शुंग

Ans. a. गुप्त

5. भारतीय दर्शन का छह अव्यवस्थित स्कूल थे जैसे सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा, वेदांत–

यह स्कूल किस  युग के दौरान पूरी तरह से स्पष्ट हो गया था?

a. गुप्त युग

b. मौर्य युग

c. वैदिक युग

d. कुषाण युग

Ans. a. गुप्त युग

6. गुप्त काल के चांदी के सिक्कों को कहा जाता था….

a. करशर्पना

b. दीनार

c. रुपयेका

d. सतमाना

Ans. c. रुपयेका

7. अश्वमेध यज्ञ का आयोजन निम्न में से किसने किया था?

a. चंद्रगुप्त

b. अजातशत्रु

c. अशोक

d. समुद्रगुप्त

Ans. d.  समुद्रगुप्त     

Some Another Question and Answer in this post

1. गुप्त काल की आधिकारिक भाषा निम्नलिखित में से कौन सी थी?

a. मगधी

b. प्राकृत

c. पाली

d. संस्कृत

Ans. d. संस्कृत

2. भारत में शून्य की अवधारणा सहित दशमलव अंक प्रणाली का आविष्कार किस वंश के दौरान हुआ था?

a. गुप्त

b. पाला

c. साका

d. चोल

Ans. a. गुप्त

3. कालिदास निम्नलिखित में से किस राजवंश के शासनकाल के दौरान फले-फूले थे?

a. सुंगा

b. वर्धन

c. मौर्य

d. गुप्त

Ans. d.  गुप्त

4. सुद्रका की लिखित मृच्छकटिकम किसके ऊपर आधारित है?

a. प्रेम कथा

b. नाटक

c. उपन्यास

d. कविता

Ans. b.  नाटक

5. किस राजा के शासनकाल के दौरान चीनी यात्री फाह्यान भारत आया था?

a. कुमारगुप्त

b. चंद्रगुप्त प्रथम

c. चन्द्रगुप्त द्वितीय

d. समुद्रगुप्त

Ans. c. चन्द्रगुप्त द्वितीय

6. निम्नलिखित में से कौन सा साहित्यिक कार्य गुप्त काल से संबंधित नहीं था?

a. मृच्छकटिका

b. अभिजनशाकुंतलम

c. अमरकोष

d. चरक संहिता

Ans. d. चरक संहिता

7. गुप्त वंश के किस राजा को भारत का नेपोलियन कहा जाता था?

a. श्रीगुप्त

b. समुद्रगुप्त

c. चंद्रगुप्त प्रथम

d. चंद्रगुप्त विक्रमादित्य

Ans. b. समुद्रगुप्त

8. निम्नलिखित में से किस गुप्त राजा ने गया में बौद्ध मंदिर बनाने के लिए श्रीलंका के शासक मेघवर्मा को अनुमति दी थी?

a. स्कन्दगुप्त

b. चंद्रगुप्त प्रथम

c. समुद्रगुप्त

d. चन्द्रगुप्त द्वितीय

Ans. c. समुद्रगुप्त   

Gupta Empire Related Question and Answer

1. मृच्छकटिका किसके द्वारा लिखी गई थी?

a. बाणभट्ट

b. विक्रमादित्य

c. शूद्रक

d. कल्हन

Ans. c. शूद्रक

2. प्राचीन भारत में गुप्त काल के गुफा चित्रों के केवल दो ज्ञात उदाहरण मिलता हैं।

इन्हीं में से एक है, अजंता की गुफाओं की पेंटिंग।

और, गुप्त चित्रों का दूसरा जीवित उदाहरण कहाँ है?

a. नासिक की गुफाएँ

b. बाग की गुफाएँ

c. एलोरा की गुफाएँ

d. लोमेश ऋषि गुफा

Ans. b.  बाग की गुफाएँ

3. समुद्रगुप्त का दरबारी कवि कौन था?

a. हरिषेण

b. अश्वघोष

c. नागार्जुन

d. आर्यभट्ट

Ans. a. हरिषेण

4. आर्यभट्ट और वराहमिहिर किस युग के थे?

a. मुगलों

b. गुप्त

c. चोल

d. मौर्य

Ans. b. गुप्त

5. प्रयाग प्रशस्ति / इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख निम्नलिखित में से किसके साथ जुड़ा हुआ है?

a. चंद्रगुप्त मौर्य

b. अशोका

c. महापद्मनंद

d. समुद्रगुप्त

Ans. d. समुद्रगुप्त

6. Gupta Empire में समुद्रगुप्त को किस इतिहासकार द्वारा भारतीय नेपोलियन का खिताव दिया गया है?

a. आर.एस. शर्मा

b. रोमिला थापर

c. वी. स्मिथ

d. आर. सी. मजुमदार

Ans. c.  वी. स्मिथ 

         

                   

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