Mahatma Gandhi life history Hindi|महात्मा गाँधी|अहिंसा
नमस्कार दोस्तों studyknown.com blog पर आपसभी का स्वागत है। आजके यह post में हम Mahatma Gandhi Ji के बारे में जानने वाले है। Mahatma Gandhi ji का जन्म 2 Oct. Year 1869 में गुजरात के पोरबंदर में एक गुजराती परिवार में हुआ था। और, गाँधी जी के माता, पिता ने उनका नाम Mohandas Karamchand Gandhi रखा था। और, गाँधी जी के पिता का नाम Karamchand Gandhi एवं माता का नाम Putlibai Gandhi था।
इसके साथ गाँधी जी का प्रारम्भिक शिक्षा पोरबंदर में पूरा हुआ था। और, मैट्रिक पास करने के पश्चात उन्होंने भावनगर के शामलदास कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की और बाद में उच्च शिक्षा हेतु उन्हें विलायत भेजा गया था। दोस्तों गाँधी जी को विलायत भेजने से पहले year 1883 में जब उनका उम्र 13 साल का हुआ तो, उनके माता पिता ने उनका विवाह 14 साल की कस्तूरबा जी से कर दिया था। और, बाद में गाँधी जी का चार पुत्र हुए जिनका नाम हरीलाल गाँधी, मणिलाल गाँधी,रामदास गाँधी और देवदास गाँधी थे।
Mahatma Gandhi’s education and advocacy abroad
- गाँधी जी की माता, पिता उन्हें बैरिस्टर बनाने चाहते थे।
- इसीलिए year 1888 में गाँधी जी जब 19 वर्ष के हुए,
- तब उनके माता पिता ने उन्हें University College London में भेजा था।
- जहा पे उन्होंने बैरिस्टर और कानून की पढ़ाई की थी।
- और, पढ़ाई के पश्चात, गाँधी जी जब इंग्लैंड से भारत लौट आये थे,
- तो वकालत करने में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली थी।
- इसीलिए बाद में उन्होंने एक हाई स्कूल की शिक्षक के रूप में शिक्षा दी थी।
- उसके बाद उन्होंने जरूरतमन्दों के लिये मुकदमे की अर्जियाँ लिखना चालू किया था।
- इसीलिए बाद में Mahatma Gandhi ने राजकोट को ही अपना स्थायी मुकाम बना लिया था।
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Movement in South Africa
- दोस्तों इसके बाद year 1893 में गाँधी जी ने वकालत के लिए South Africa गए थे।
- उस समय South Africa में ब्रिटिश साम्राज्य के आधीन में नेटाल सरकार का शासन था।
- और, गाँधी जी ने भारतीय फर्म में समझौता के तहत वकालत करने का जिम्मा स्वीकार कर लिया था।
- परन्तु उस समय South Africa में भारतीयों पर भेदभाव का बहुत प्रभाव था।
- जिसका सामना गाँधी जी को भी करना पड़ा था।
- क्यूंकि शुरुवाती दौर पर गाँधी जी एक दिन Train में सफर करने के दौरान,
- उस Train की डिब्बे में कुछ यूरोपियन यात्रीओ ने यात्रा की थी,
- और, Reservation Ticket होते हुए भी गाँधी जी को उस डिब्बे से तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने के लिए कहा गया था,
- लेकिन, गाँधी जी ने जाने से इन्कार करने पर उन्हें Train से फेंक दिया गया था।
- इसके साथ गाँधी जी को South Africa में अन्य कई प्रकार की कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा था।
- जैसे, वकालत करने के दौरान गाँधी जी को उस अदालत की न्यायाधीश ने अपनी पगड़ी उतारने का आदेश दिया था,
- परन्तु गाँधी जी ने पगड़ी उतारने से मना कर दिया था।
- इसके बाद South Africa में कई होटलों में भी उनके लिए जाना वर्जित कर दिया गया था।
- उस समय Africa में अंग्रेज सरकार द्वारा भेदभाव का प्रभाव गाँधी जी के ऊपर असर किया था।
- लेकिन, गाँधी जी ने इसके के लिए विरोध किया था।
- और, Africa में हो रहे भारतीयों पर विद्यमान सामाजिक अन्याय के प्रति जागरुकता के लिए उन्होंने आवाज़ उठाई,
- तथा, अंग्रेजी साम्राज्य के अन्तर्गत अपने देशवासियों के सम्मान एवं देश में स्वयं अपनी स्थिति के लिए गाँधी जी ने प्रश्न भी उठाये थे।
Mahatma Gandhi first role for the freedom struggle in India
- गाँधी जी year 1915 में South Africa से भारत लौटने के बाद स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया था।
- उन्होंने सबसे पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जरिए अपना शुरुवाद किया था।
- इसके बाद गाँधी जी ने year 1917 में ‘’चंपारण’’ और ‘’खेड़ा’’ सत्याग्रह में अपनी मुक्ख भूमिका निभाई थी।
- चंपारण सत्याग्रह में उन्होंने बिहार से नेतृत्व किया था और यह गाँधी जी द्वारा किया गया पहला सत्याग्रह था।
- और, यह सत्याग्रह खाद्य फसलों की खेती से जुड़ा आंदोलन था।
- इसके साथ गाँधी जी ने गुजरात के खेड़ा जिले में एक और सत्याग्रह किया था,
- और, यह सत्याग्रह अंग्रेजो द्वारा Tax वसूली के विरुद्ध गाँधी जी द्वारा किया गया पहला असहयोग आन्दोलन माना जाता है।
- तथा, इस आंदोलन के समय गाँधी जी ने गुजरात में एक आश्रम भी बनाये थे।
- जहा पे उनके बहुत सारे समर्थकों और नए स्वेच्छिक कार्यकर्ताओं को संगठित किया था।
- और, यह आंदोलन के बाद गाँधी जी की ख्याति पुरे देश भर में फैल गई थी।
Jallianwala Bagh Massacre Case
- असहयोग आन्दोलन में Mahatma Gandhi जी ने शांतिपूर्ण तरिके से अहिंसा की मार्ग को अपना शस्त्र बनाया था।
- और, ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाप इस्तेमाल किया था।
- लेकिन, अंग्रेज द्वारा पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट Jallianwala Bagh में एक हत्या कांड गठित हुआ था।
- जिसमे भारी मात्रा में अंग्रेजो ने आन्दोलन कर रहे लोगों के ऊपर गोली चलाई और 400 से अधिक व्यक्ति मारा गया,
- और, यह हत्या कांड अँग्रेज ऑफिसर General Dior द्वारा करवाया गया था।
- यह आन्दोलन 13 April 1919 में Rowlatt Act के विरोध में किया गया था।
- Rowlatt Act उस समय के भारत में बड़ रहे राष्ट्रीय आन्दोलन को कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा निर्मित एक कानून था।
- और, यह घटना के बाद पुरे भारत पर इसका विरोध प्रर्दशन हुआ,
- तथा, गाँधी जी ने भी पुरे ज़ोर से इस आन्दोलन को जन आन्दोलन बना दिया था।
Story of Mahatma Gandhi taking back the Non-Cooperation Movement
- असहयोग आन्दोलन के दौरान गाँधी जी को Dec 1921 में “Indian National Congress” का कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया था।
- गाँधी जी के नेतृत्व में Indian National Congress (INC) party को ‘’स्वराज’’के नाम पर संगठित किया गया था।
- स्वराज का अर्थ स्वशासन है और यह राष्ट्रीय आन्दोलन को बल देने वाला एक प्रचलित शब्द था।
- और, गाँधी जी द्वारा असहयोग आन्दोलन में अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना मुक्ख उद्देश्य था।
- तथा, भारत के लोगों द्वारा बने खादी वस्त्रों एवं वस्तुओं का उपयोग करना था।
- इसके साथ यह आन्दोलन को दूर-दूर से सहयोग और सफलता मिल रही थी,
- जिससे समाज के सभी वर्गों की जनता में जोश और भागीदारी बढ़ गई थी।
- और, जब यह आन्दोलन सफलता के चरम शीर्ष पर पहुँचा था,
- उस समय year 1922 में 4 Feb को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पास एक कस्बे में एक घटना संगठित हुआ था।
- जिसमे भारतीयो ने ब्रिटिश सरकार की एक Police चौकी को आग लगा दी थी,
- और, उस कांड में चौकी में छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल के मर गए थे।
- और, इसी घटना को ‘’चौरी-चोरा’’ के नाम से जाना जाता है।
- इसीलिए Mahatma Gandhi जी ने असहयोग आन्दोलन को बापस ले लिया था।
- क्यों की गाँधी जी अहिंसा को मानने वाले व्यक्ति थे, और हिंसा को समर्थन नही करते थे।
Status from 1923 to 1930 in the freedom struggle
- असहयोग आन्दोलन के कारन Mahatma Gandhi जी को अंग्रेज सरकार द्वारा 26 नवंबर 1923 को यरवदा जेल में डाल दिया गया था।
- जहा पे उन्होंने चर्का चलाई थी लेकिन आंतों के ऑपरेशन के कारन उन्हें दो वर्ष बाद जेल से रिहा कर दिया गया था।
- इसके बाद गाँधी जी को सबसे पहले कर्नाटक के बेलगाम शहर में 1924 को INC में अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
- उसके कुछ वर्ष बाद गरम दल की नेता लाला लाजपत राय जी ने Simon Commission के विरुद्ध खड़े हुए थे।
- क्योंकी इस Commission में सारे अंग्रेज थे और भारतीयो को शामिल नहीं किया गया था।
- जिसके कारन Simon Commission के विरोध प्रदर्शन में 17 Nov 1928 में अंग्रेज द्वारा लाठीचार्ज में उनकी मृत्यु हो गई थी।
- इसके बाद year 1928 में गाँधी जी ने कलकत्ता में कांग्रेस के एक अधिवेशन किया था।
- जिसमे उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत को ‘’भारतीय साम्राज्य’’ को सत्ता प्रदान करने के लिए कहा था।
- और, इसमें युवा वर्ग के सुभाष चंद्र बोस तथा जवाहरलाल नेहरू जैसे पुरूषों द्वारा तत्काल आजादी के लिए,
- ”पूर्ण स्वराज” की मांग को विचारों में फलीभूत किया गया था।
- इसीलिए 31 दिसम्बर 1929 में Indian National Congress ने सबसे पहले,
- लाहौर में स्वतंत्रता दिवस के रूप में भारत का झंडा फहराया था।
- और, यही ”पूर्ण स्वराज” की प्रस्ताव को लागू होने की महत्व देने के लिए,
- बाद में स्वतंत्र भारत में 26 Jan 1950 को गणतंत्र दिवस के रूप में घोषित किया गया है।
Mahatma Gandhi’s Salt Satyagraha / Dandi March
- Mahatma Gandhi जी ने मार्च 1930 में नमक पर Tax लगाए जाने के विरोध में एक नया सत्याग्रह चलाया था।
- जिसे ‘’नमक सत्याग्रह’’ तथा ‘’दांडी मार्च’’ के नाम से भी जाना जाता है।
- और, यह सत्याग्रह अहमदाबाद से दांडी तक 400 KM की दुरी तैए करते हुए 12 March से 6 April तक चली थी।
- तथा, समुद्र की ओर इस यात्रा में हजारों की संख्या में भारतीयों ने हिस्सा लिया था।
- और, यह एक सर्वाधिक सफल सत्याग्रह / आन्दोलन था, जिससे अंग्रेज सरकार काफी प्रवाभित हो गया था।
- जिसमें अंग्रेजों ने 70,000 से अधिक लोगों को जेल भेजा दिया था।
Mahatma Gandhi and Irwin pact
- दांडी मार्च के बाद Lord Edward Irwin की सरकार ने गाँधी जी के साथ विचार-विमर्श करने का निर्णय लिया था।
- जिसमे ब्रिटिश सरकार ने Civil disobedience movement को बंद करने के लिए सभी राजनैतिक कैदियों को रिहा करने के लिए सहमति दे दी थी।
- और, इस सन्धि को year 1931 में Gandhi Irwin Pact के नाम से जाना जाता है।
- इसके साथ यह आन्दोलन के फलस्वरूप Mahatma Gandhi जी को INC के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में London भेजा गया था।
- जहा पे उन्होंने आयोजित होने वाले गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमन्त्रित थे।
- परन्तु इस सम्मेलन के निष्कर्ष में सत्ता का हस्तांतरण करने की बजाय भारतीय कीमतों एवं भारतीय अल्पसंख्यकों पर ध्यान केन्द्रित कर दिया गया था।
- और, राष्ट्रीयवादी लोगों को घोर निराशाजनक स्थिति का सामना करना पड़ा था।
- इसके बाद Lord Edward Irwin के युवराज/वारिस Lord Willington ने राष्ट्रवादियों के आन्दोलन को कुचलने का एक नया अभियान चलाया था।
- और, इसी अभियान के परिणामस्वरूप गाँधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया था, परन्तु यह अभियान सफल नहीं था।
Dalit Movement During Freedom Struggle
- साल 1932 में अंग्रेज सरकार द्वारा दलितो को एक नए संविधान के अंतर्गत अलग निर्वाचन करने की मंजूरी दिया गया था।
- जिसमे दलित नेता Bhimrao Ramji Ambedkar जी ने चुनाव प्रचार किया था।
- और, Ambedkar जी एक अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ एवं समाजसुधारक थे।
- जिसके लिए बाद में ”वे” Dr. Babasaheb Ambedkar के नाम से लोकप्रिय हुए थे।
- और, 1932 में दलितो को अलग से निर्वाचन कराने की विरोध में,
- गाँधी जी ने दलितो के साथ छ: दिन का अनशन किया था।
- जिसमे गाँधी जी ने दलितो को राजनीति में एक साथ व्यवस्थित स्थिति को अपनाने पर बल दिया था।
- और, अछूतों के जीवन को सुधारने के लिए गांधी जी द्वारा चलाए गया यह पहला अभियान था।
- गाँधी जी ने इन दलितो / अछूतों को ‘’हरिजन’’ का नाम दिया जिन्हें वे भगवान की संतान मानते थे।
- और, भारतीय के स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दुस्तान की सामाजिक बुराइयों में छुआछूत एक प्रमुख वजह थी,
- जिसके विरूद्ध में महात्मा गाँधी और उनके अनुयायी संघर्ष करते रहे थे।
- इसके साथ Mahatma Gandhi जी ने केरल के ‘’गुरुवायुर’’ मंदिर में,
- हरिजनो के प्रवेश में स्वीकृति के लिए भी साल 1934 में 1 Jan को दलितो के साथ अहम भूमिका निभाई थी।
Mahatma Gandhi and Subhash Chandra Bose
- इसके बाद साल 1938 में INC में अध्यक्ष के रूप में सुभाष चन्द्र बोस को चुना गया था।
- लेकिन गाँधी जी और सुभाष बोस में मतभेद थे,
- क्यों की सुभाष चन्द्र बोस लोकतंत्र में प्रतिबद्धता और अहिंसा में विश्वास को नहीं मानते थे।
- जबकि Mahatma Gandhi लोकतंत्र और अहिंसा में विस्वास रखते थे।
- लेकिन बाद में सुभाष चन्द्र बोस ने Congress Party में असहनशीलता के कारन Party छोड़ दिया था।
Quit India movement by Mahatma Gandhi
- भारत छोड़ो आन्दोलन से पहले 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ था।
- और, 8 August 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन पुरे देश भर में प्रचलित हुआ था।
- जिसमे गाँधी जी ने आजादी के लिए अपनी मांग को अंग्रेजों को भारत छोड़ो आन्दोलन नामक विधेयक देकर तीव्र कर दिया था।
- और, यह आन्दोलन गाँधी जी तथा कांग्रेस पार्टी का सर्वाधिक स्पष्ट विद्रोह था।
- इसके साथ यह आन्दोलन सर्वाधिक शक्तिशाली आन्दोलन बन गया था,
- जिसमें व्यापक हिंसा और गिरफ्तारी हुई थी।
- तथा, पुलिस की गोलियों से हजारों की संख्या में स्वतंत्रता सेनानी मारे गए और घायल हुए थे।
- लेकिन, Mahatma Gandhi जी ने स्पष्ट किया था की इस बार भारत छोड़ो आन्दोलन बन्द नहीं होगा,
- और, उन्होंने भारतीयों को अहिंसा के साथ ”करो या मरो’’ का नारा दिया था।
- इसके बाद गाँधी जी को अंग्रेज सरकार ने दो साल के लिए जेल में डाल दिया था।
- और, साल 1944 में गाँधी जी की पत्नी कस्तूरबा जी का भी देहान्त हो गया था।
- इसके पश्चात जेल में गाँधी जी भी भयंकर मलेरिया का शिकार हो गए थे।
- इसीलिए साल 1944 में खराब स्वास्थ्य के कारन उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया था।
- और, इस आन्दोलन के अंत में ब्रिटिश ने ‘’भारत की आजादी’’ का स्पष्ट संकेत दे दिया था।
- इसके बाद गाँधी जी ने यह आन्दोलन को बंद कर दिया था।
Independence and partition of India
- ब्रिटिश सरकार द्वारा Year 1947 में 15 Aug से पहले एक योजना निर्मित किया गया था।
- जिसे Mountbatten Plan के नाम से जाना जाता है।
- और, उस समय के Lord Mountbatten भारत का अन्तिम Viceroy था।
- तथा, यह योजना भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के आधार पर किया गया था।
- और, इस अधिनियम में हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की बटवारा करना सम्भब था।
- लेकिन, Mahatma Gandhi जी इस Mountbatten Plan के खिलाप थे।
- उन्होंने, सम्पूर्ण भारत को एक गणतांत्रिक और सामाजिक दृष्टि से भाईचारे के जरिये एकजुट रहने का सपना देखा था।
- और, गाँधी जी की सहमति के बिना यह बटवारा सम्भब नहीं था।
- क्यूंकि उस समय गाँधी जी की पकड़ INC में अच्छी होने के साथ साथ पुरे देश में उनकी स्थिति मजबूत थी।
- परन्तु, बिगड़ते हालातों को देकते हुए और मुस्लिम लीग का प्रभाव के बजह से उन्होंने मज़बूरी में अपनी अनुमति दी थी।
- और, 15 अगस्त, 1947 में भारतीय इतिहास की वह तारीख है,
- जब हमारा देश ”भारत” ब्रिटिश हुकूमत से आजाद हुआ था।
- तथा, इसी दिन पाकिस्तान को भी आजादी मिली थी।
- लेकिन, पाकिस्तान 15 अगस्त के बावजूद अपनी आजादी का जश्न 14 अगस्त को मनाता है।
The Last Life of Mahatma Gandhi Ji
- दोस्तों गाँधी जी आजीवन अहिंसा के पुजारी थे,
- और, अहिंसा के नीति से उन्होंने आज़ादी दिलाने में अपनी भूमिका निभाई थी।
- उनकी यही चिन्ताधारा कुछ विरोधी को अच्छा नही लगा था।
- तथा, दूसरे पक्ष का यह मानना था की अहिंसा से आजादी मिलना सम्भब नहीं है।
- परन्तु, स्वतंत्रता आते आते गाँधी जी ने कई नीतिओ को अपनाया था,
- और, कई नीतिओ का विरोध भी किया था, जो नीतियां हिंसात्मक थी।
- जिसके कारन उस समय के दौरान गाँधी जी को गलत समझा गया था।
- और, बार बार गाँधी जी द्वारा ‘आमरण अनशन’ की नीति को हिंदूओ की हितों का गला घोंटने की रूप में देखा गया था।
- उनमे से नाथूराम गोडसे एक थे जिनके मन में गाँधी जी की नीतिओ के प्रति आक्रोश था।
- इसीलिए, भारत स्वतंत्र होने के बाद एक दिन गाँधी जी जब संध्याकालीन प्रार्थना के लिए नई दिल्ली में स्थित बिड़ला भवन में जा रहे थे।
- उस समय नाथूराम गोडसे ने सामने से आके उनके पैर छुए और फिर गाँधी जी की छाती में तीन गोलियाँ दाग दीं।
- और, उसी दौरान Mahatma Gandhi जी की मृत्यु हो गई थी।
- मृत्यु से पहले गाँधी जी की मुख से आखरी शब्द ”Hey Ram” निकला था।
- तथा, यह घटना 30 जनवरी 1948 की शाम में हुआ था।
- और, इस हत्या कांड के लिए नाथूराम गोडसे को 15 Nov 1949 में फांसी दे दी गई थी।
- इसके बाद नई दिल्ली के राजघाट में गाँधी जी की स्मारक बनाई गई है।
- जिसमे भारतीय लिपि”देवनागरी में हे राम”लिखा हुआ है।
Some Important facts about Mahatma Gandhi Ji
- Mahatma Gandhi जी को 1919 में ”महात्मा” के नाम से Guru Rabindranath Tagore जी ने संबोधित किया था।
- हालाँकि इसमें कई सारे मत है कहा जाता है की सबसे पहले स्वामी श्रद्धानन्द जी ने गाँधी जी को ”महात्मा” के नाम से संबोधित किया था।
- और, बाद में सुभाष चंद्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रेडियो के माध्यम से रंगून से महात्मा गाँधी जी को ”राष्ट्रपिता” कहकर संबोधित किया था।
- इसके साथ भारत की जनता भी उन्हें ‘’बापू’’ कहकर पुकारते थे।
- गाँधी जी एक सफल लेखक थे इसके साथ उन्होंने दशकों तक अनेक पत्रों का संपादन भी किया था।
- जिसमे Harijan and Indian Opinion आदि सम्मिलित हैं।
- और, इसके बाद उन्होंने ‘नवजीवन’ नामक मासिक पत्रिका भी निकाली थी।
- इसके साथ महात्मा गाँधी जी ने चार पुस्तकें भी लिखे थे,
- हिंद स्वराज, दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास, सत्य के प्रयोग (आत्मकथा), एवं गीता माता जैसे पुस्तकें प्रमुख है।
- हालाँकि गाँधी जी आमतौर पर गुजराती में लिखते थे,
- लेकिन, अपनी किताबों का हिन्दी एवं अंग्रेजी में भी अनुवाद करते थे या अन्य के द्वारा करवाते थे।
Conclusion of the Summary
- दोस्तों Mahatma Gandhi जी ने अपने सम्पूर्ण जीवन को सत्य और अहिंसा की खोज में समर्पित कर दिया था।
- उन्होंने इसके लिए अपनी स्वयं की गलतियों को खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की थी।
- इसके साथ गाँधी जी ने अपनी माता पुतलीबाई और अपने चाचा बेचारजी स्वामी के दिए हुए वायदा को भी निभाया था,
- जिसके कारन गाँधी जी ने England में बैरिस्टारी पढ़ाई के दौरान मांस खाने, शराब पीने तथा संकीणता से दूर रहे थे।
- इसके साथ गाँधी जी ने अपने जीवन में सादगी एवं विश्वास से जीवन को व्यतीत किया था।
- तथा, उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘’The Story of My Experiments with Truth’’ भी लिखा है,
- जिसमे गाँधी जी ने अपनी जीवन मार्ग का वर्णन किया है।
- और, गाँधी जी की भजन ”रघुपति राघव राजा राम” और ”वैष्णव जन तो तेने कहिए” प्रसिद्ध है।
दोस्तों उम्मीद करता हु Mahatma Gandhi जी की यह post पड़कर आपसभी को अच्छा लगा हो। इस post में Mahatma Gandhi जी की प्रारम्भिक जीवन से लेकर सातंत्रता संग्राम में उनकी योगदान से जुड़ी हुई सभी पहलू को सरल तरीके से वर्णन किया गया है ताकि आपको पड़ने में आसानी हो और आनंद मिले। दोस्तों यदि यह post आपसभी को पसंद आया है तो कृपया इन post को Facebook, twitter, pinterest और Instagram जैसे Social Sites पर Share करे। और, यह post पड़ने के लिए आपसभी का धन्यवाद। इसके साथ आपसबका Health स्वस्थ और सुरक्षित रहे यही कामना करते है।