Revolt of 1857 India Hindi|भारत में १८५७ का पहला विद्रोह
नमस्कार दोस्तों Revolt of 1857 यानि स्वतंत्रता संग्राम का पहला विद्रोह जो 1857 में भारत में शुरू हुआ था। दोस्तों आपसभी का यह पोस्ट में स्वागत है। आजके यह पोस्ट में हम भारत में सबसे पहले शुरू हुई स्वतंत्रता संग्राम के बारे में जानेंगे। Revolt of 1857 भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जो उस समय की गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग के दौरान हुआ था। और, 1857 का विद्रोह राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक-धार्मिक और सैन्य कारणों का एक संयोजन था।
Political causes of Revolt at 1857-राजनीतिक कारन
- सबसे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी ने ब्रिटिश साम्राज्य में अपने शक्ति को भारत में विस्तार किया।
- उसके बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत में राजनीतिक तौर पर ‘हड़प नीति’ की शुरुवाद की।
- और, भारतीय राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने का प्रयत्न में जुट गए।
- जिसके कारन कोई भी राजा अगर बेऔलाद हो तो उस राज्य को अंग्रेज द्वारा हड़प लेना।
- इसीलिए सतारा, नागपुर और झांसी जैसे राज्य ब्रिटिश सरकार के अधीन में चला गया था।
- और, रानी लक्ष्मी बाई के गोद लिए पुत्र को भी झांसी की गद्दी पर नहीं बैठने दिया गया था।
- इसके इलाबा पेशवा के बाजीराव द्वितीय के गोद लिए पुत्र नाना साहब का पेंशन भी अंग्रेज द्वारा रोक दी गई थी।
- जिसके कारन भारत के शासक वर्ग में विद्रोह की भावना मजबूत होने लगी थी।
- और, जब बहादुर शाह द्वितीय के वंशजों को लाल किले में रहने पर पाबंदी लगा दी गई।
- तो, भारत में इसकी चिंगारी आग की तरह फेल गई थी।
- और, हद तो तव हो गई जब अंग्रेजो ने अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में विलय करबा लिया था।
- जिससे बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, अधिकारी एवं सैनिक बेरोजगार हो गए थे।
- और, इस घटना के बाद अवध में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति विद्रोही पैदा हो गया था।

Economic Causes-आर्थिक कारन
- Revolt of 1857 के दौरान अंग्रेज सरकार द्वारा भारी मात्रा में किसानो से Tax संग्रहण किये जा रहे थे।
- जिससे किसानो और जमींदार वर्गों में असंतोष की स्थिति पैदा हो गई थी।
- और, इनमे से बहुत से किसानो ने ब्रिटिश सरकार को Tax की भरपाई को पूरा करने में असमर्थ थे,
- तथा, किसानो द्वारा साहूकारों का कर्ज को भी चुका पाना संभव नही हो प् रहा था।
- जिसके कारन किसानो को Tax की भरपाई एवं कर्ज को चुकाने के लिए उनको अपनी पुश्तैनी जमीन से हाथ धोना पड़ा था।
- और, बड़ी संख्या में अंग्रेज में रहे भारतीय सिपाहियों के साथ इन किसानो का संबंध होने के कारन,
- सिपाहियों ने किसानों की पीड़ा को अपना पीड़ा मानकर इस घटना से बहुत प्रभावित हुए थे।
- और, सिपाहियों के मन में भी ब्रिटिश सरकार के प्रति असहनशीलता पैदा होने की स्थिति उत्पन्न हो गए थी।
- इसके बाद ब्रिटेन में हुए औद्योगिक क्रांति से भी भारतीयोअर्थबेवस्ता के ऊपर काफी हानि हुई थी।
- जिसके कारन, भारत के हस्तशिल्प उद्योग ब्रिटेन में बनी मशीन के द्वारा सस्ते सामानों का मुकाबला नहीं कर पा रहे थे।
- और, भारी मात्रा में भारत के लोग बेरोजगार हो गए थे।
- इसलिए भारत में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ काफी गुस्सा उभर कर आया था।
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Socio-Religious Causes-सामाजिक-धार्मिक कारन
- ब्रिटिश शासनकाल के समय भारत में ईसाई धर्म को बहुत फैलाया गया था।
- और, ईसाई मिशनरियों को पूरे भारत में धर्म परिवर्तन की छूट मिल गई थी।
- जिसके कारन, ईसाई धर्म को अपनाने वाले हिंदू ही अपने पूर्वजों की संपत्ति में हकदार बन सकता था।
- और, पश्चिमी सभ्यता की प्रभाव भी भारत के बढ़ते हुए समाज में तेजी से फेल रहा था।
- जिसके कारन भारतीय समाज भी ब्रिटिश शासनकाल के प्रति काफी आक्रोश में था।
- परन्तु ब्रिटिश शासन द्वारा कुछ सामाजिक कुप्रथा को भी समाप्त कर दिया गया था।
- जैसे, 1829 में सती प्रथा का उन्मूलन एवं 1856 में विधवा पुनर्विवाह का कानूनीकरण प्रमुख था।
Military Causes-सैन्य कारन
- भारत में ब्रिटिश शासनकाल के समय अंग्रेज सरकार में सबसे ज्यादा भारतीय सिपाही थे।
- और, भारतीय सिपाही को यूरोपीय सिपाही के मुकाबले कम वेतन दिया जाता था।
- इसके साथ, भत्ते, पदोन्नति आदि के संबंध में भी सैनिको के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया जाता था।
- तथा, भारतीयों सेना में अधिकारिओ को उच्च पदों पर नियुक्त नहीं किया जाता था।
- जबकि, यूरोपीय सेना को उच्च पद और सन्मान दिया जाता था।
- तथा, सिपाहियों को अपने घरों से काफी दूर-दूर सेवा देना पड़ता था।
- और, यही कई कारनो को चलते भारतीय सिपाहियों की स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई थी।
- इसीलिए, सिपाहीब्रिटिश शासन के प्रति काफी क्रुद्ध थे।
Immediate Cause-तात्कालिक कारन
- 1857 ईस्वी में अंग्रेज सरकार द्वारा बर्बरता के कारन भारत में विद्रोह का वातावरण पूरी तरह तैयार हो चूका था।
- और, यह विद्रोह चर्बी वाले ‘’एनफील्ड राइफल्स’’ कारतूसों ने प्रदान की थी।
- इन राइफ़लों के कारतूसों को गाय एवं सुअर की चर्बी द्वारा बनाया जाता था।
- जिससे राइफल्स को चलाते समय मुँह द्वारा कारतूसों की टोपी को काटना पड़ता था।
- और, फिर कारतूस को राइफ़ल में भरा जाता था।
- जिसके कारन ब्रिटिश शासन के अधीन भारतीयों सिपाहीओ ने विद्रोह कर दिया था।
- और, 1857 में 29 मार्च, के समय, मेरठ छावनी में मंगल पांडे नाम का एक भारतीय सिपाही था।
- जो ”34 मूल इन्फेंट्री” रेजिमेंट का मुक्ख Leader था।
- उन्होंने बैरकपुर (कलकत्ता के पास) में परेड पर दो ब्रिटिश अधिकारियों को गोली मार दी थी,
- और, इन ब्रिटिश अधिकारियों का नाम Hughson एवं Baugh था।
- तथा, यह घटना के पश्चात मौजूदा भारतीय सैनिकों ने मंगल पांडे को गिरफ्तार नही किया था,
- सैनिकों ने ब्रिटिश सरकार की आदेशों को मानने से इनकार कर दिया था।
- हालांकि, बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
- और, 8 अप्रैल को मंगल पांडे को फांसी दे दी गई थी।
- इसके बाद 9 मई को मेरठ में 85 सैनिकों ने नई राइफल इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया था।
- जिसके कारन उन सैनिको कों नौ साल के लिए जेल की सजा सुनाई गई थी।
- और, इस घटना के बाद मेरठ छावनी में विद्रोह की आग भड़क गई थी।
- तथा, मेरठ में भारतीयों सिपाहीओ ने ब्रिटिश अधिकारियों की हत्या कर दी,
- और, जेल तोड़कर यह क्रांतिकारी सैनिकों ने दिल्ली की तरफ रबना हो गए थे।
- तथा, दिल्ली पहुंचकर क्रांतिकारी सैनिकों ने मुगल सम्राट बहादुरशाह द्वितीय को दिल्ली का सम्राट घोषित कर दिया।
- और, शीघ्र ही यह विद्रोह दिल्ली, झांसी, इलाहाबाद, लखनऊ, जगदीषपुर (बिहार) और कानपुर में फैल गया।
List of some prominent Indian leaders in the Revolt of 1857
केंद्र | प्रारंभिक दिनांक | अंतिम दिनांक | भारतीय नेता |
दिल्ली | 11 May 1857 | 20 Sep 1857 | बहादुर शाह द्वितीय |
और उनके कमांडर | |||
जनरल बख्त खान | |||
कानपुर | 4 June 1857 | 6 Dec 1857 | नाना साहिब |
और उनके | |||
रॉयल कमांडर | |||
तानतिया टोपे | |||
लखनऊ | 4 June 1857 | 21 Mar 1858 | बेगम हज़रात महल |
झांसी | 4 June 1857 | 18 June 1858 | रानी लक्समी बाई |
इलाहाबाद | 5 June 1857 | Mar 1858 | लियाक़त अली |
जगदीशपुर | Aug 1857 | Dec 1858 | कुएर सिंह एवं |
अमर सिंह |
Other Important Leaders – अन्य महत्वपूर्ण नेता
- इसके इलाबा भी और कुछ Leaders ने Revolt of 1857 में हिस्सा लिया था।
- जैसे खान बहादुर खान (बरैली), अज़ीमुल्लाह खान (फतेहपुर), बहादुर खान (बरैली), कदम सिंह (मेरठ), मौलवी अहमदुल्लाह (फैज़ाबाद) और देवी सिंह (मथुरा) आदि…
- परन्तु, अंग्रेजो ने सबसे पहले 21 सितंबर, 1857 में दिल्ली पर पुनः अधिकार कर लिया,
- और, इसमें अंग्रेजो की एक अधिकारि मारा गया था।
- जबकि अंग्रेजो ने बहादुरशाह द्वितीय को रंगून के जैन में निर्वासित कर दिया था।
- और, वहा पे 1862 में शाह की मृत्यु हो गई थी।
- इसके पश्चात अंग्रेजो ने धोखे से बहादुरशाह द्वितीय के पुत्रों ‘मिर्ज मुगल’ और ‘मिर्ज ख्वाजा सुल्तान’ को भी गोली मरवा दी थी।
- और, यह घटना के बाद क्रांतिकारी सैनिकों ने लखनऊ में ब्रिटिश रेजिडेंसी का घेराव किया था।
- और, ब्रिटिश रेजिडेंट के अधिकारि ‘हेनरी लॉरेन्स’ को मोत की घाट उतर दिया था।
- हालांकि बाद में ब्रिटिश सरकार ने नेपाल की गोरखा रेजिमेंट की मदद से विद्रोह को कुचलने में सफल रहे थे।
- इसके पश्चात, Revolt of 1857 में जिन जिन भारतीय नेताओं ने हिस्सा लिया था।
- ब्रिटिश सरकार द्वारा उन सभी नेताओं की आंदोलन को ख़तम करवा दिया गया था।
- नाना साहिब (मूल नाम धुन्धु पंत) और बेगम हज़रात महल भी नेपाल भागने मैं बेबस थे।।
- जबकि ताँतिया टोपे (मूल नाम रामचंद्र पांडुरंग) को 15th April 1859 में ब्रिटिश सरकार द्वारा मार दिया गया था।
- और, रानी लक्समी बाई अंग्रेजो के साथ युद्ध करते हुए उनकी मृत्यु हो गई थी।
- परन्तु यह आंदोलन का प्रभाव दक्षिण, पश्चिम और पूर्व में कुछ विशेष नही था।
- जिसके कारन यह विद्रोह कमज़ोर हो गया था।
Revolt of 1857 reason for failure -1857 विद्रोह के विफलता का कारन
- Revolt of 1857 में नेतृत्व के अभाव के कारन यह आंदोलन सफलता प्राप्त नही कर पाई थी।
- लेकिन, उत्तर भारत में इस विद्रोह के लिए वीर प्रयास किया गया था।
- तथा, यह विद्रोही को आगे चलाने के लिए क्रांतिकारियों के पास ठोस लक्ष्य एवं स्पष्ट योजना का भी अभाव था।
- और, क्रांतिकारियों के पास पैसा और हथियार जैसे संसाधन भी सीमित मात्रा में थी।
- जबकि ब्रिटिश के पास विद्रोह को दमन करने के लिए सारे संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी।
- परन्तु, यह आंदोलन में ‘शिक्षित वर्ग’ पूर्ण रूप से मौन रहे थे।
- अपने फ़ायदा को परिपूर्ण रखने के लिए व्यापारियों तथा बुद्धिजीविओ ने अंग्रेजो का साथ दिया था।
- और, ब्रिटिश द्वारा विद्रोह को कुचलने के लिए बंबई एवं कलकत्ता जैसे शहरों में प्रार्थना सभाएं भी किया गया था।
- इसके साथ होल्कर, निज़ाम और सिंधिया ने सक्रिय रूप से अंग्रेजों की मदद की थी।
- लेकिन अगर यह बुद्धिजीवि वर्ग देशभक्ति की रूप से भारतीय की सहायता करता तो,
- Revolt of 1857 की रूप कुछ अलग होता और ब्रिटिश भारत को ग़ुलाम बनाने में सक्षम नहीं हो पाते।
- लेकिन, इस आंदोलन में एक अच्छी बात यह थी की हिंदू और मुस्लिम एकता में निहित थे।
- और, लोगों ने सांप्रदायिक भावनाओं को दरकिनार करते हुए देशभक्ति की भावना से इस आंदोलन के प्रति प्रदर्शन किया था।
Impact of the Revolt of 1857 – 1857 के विद्रोह का प्रभाव
- अगस्त 1858 में, ब्रिटिश संसद ने एक अधिनियम पारित किया था,
- जिसमें ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया गया था।
- और, अब भारत को ब्रिटिश सरकार के आधीन Queen Victoria के नियंत्रण में हस्तांतरित कर दिया गया था।
- तथा, 1858 के अधिनियम के तहत ब्रिटिश सरकार के एक मंत्री को भारत के राज्य सचिव के लिए जिम्मेदार बनाया गया था।
- और, अब भारत में ब्रिटिश गवर्नर-जनरल को राजप्रतिनिधि (Viceroy) की उपाधि भी दे दी गई थी।
- इसके पश्चात ब्रिटिश सरकार द्वारा हड़प नीति को भी समाप्त कर दिया गया था।
- Revolt of 1857 के बाद, अंग्रेजों ने ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपनाई थी।
- और, सेना में श्वेत सैनिकों के प्रशासन और वृद्धि में भी दूरगामी परिवर्तन किए गए थे।
- 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेजो ने सम्पूर्ण भारत पर ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार कर दिया था।
- लेकिन, भारत में यह विद्रोह राष्ट्रीय आंदोलन के उदय और विकास के तहत एक चमकता सितारा बन गया था।
Revolt of 1857 gk questions and answers
1.1857 के विद्रोह का लखनऊ से नेतृत्व किसने किया था?
Ans. बेगम हज़रत महल
2. ब्रिटिश भारत का पहला गवर्नर-जनरल और वाइसराय कौन था?
Ans. लॉर्ड कैनिंग
3. कुंवर सिंह ने 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किस राज्य से किया था?
Ans. बिहार
4. Revolt of 1857 में से कौन सा प्रदेश प्रभावित नहीं हुआ था?
Ans. चित्तौड़
5. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की नायिका महारानी लक्ष्मी बाई का जन्म स्थान कहा है?
Ans. वाराणसी
7. The Last Mughal : The fall of Dynasty, Delhi 1857 पुस्तक के लेखक कौन हैं?
Ans. विलियम डेलरिम्पल
8. 1857 के विद्रोह के बाद, अंग्रेजों ने कीन सैनिकों की भर्ती की थी?
Ans. उत्तर में गोरखा और सिख
9. Revolt of 1857 के पश्चात भारत में प्रशासनिक परिणाम क्या था?
Ans. ईस्ट इंडिया कंपनी से सीधे ब्रिटिश सरकार के आधीन हस्तांतरित कर दिया गया था।
10. वह कौन सा आयोग है जो की 1857 के विद्रोह को दमन करने के बाद सेना में पुन: संगठन से जुड़ा है?
Ans. पील आयोग (Peal Commission)
11. 1857 के विद्रोह के दौरान अंग्रेजों का सबसे कड़वा दुश्मन कौन था?
Ans. मौलवी अहमदुल्लाह शाह
12. भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, सिपाही विद्रोह की शुरुआत निम्नलिखित में से किस स्थान से हुई थी?
Ans. मेरठ
13. आधुनिक भारतीय इतिहास में किसने 1857 के विद्रोह को स्वतंत्रता का पहला युद्ध कहा था?
Ans. V.D. Savarkar (Vinayak Damodar Savarkar)
14. Queen Victoria ने British Crown के तहत भारतीय प्रशासन का अधिग्रहण कब किया था?
Ans. 1 नवंबर 1858
15. मंगल पांडे ब्रिटिश सेना के किस छावनी के Leader थे ?
Ans. मेरठ छावनी
16. मंगल पांडे ने किस ब्रिटिश अधिकारि को मारा था?
Ans. Hughson एवं Baugh
17. मंगल पांडे को किस दिन फांसी दी गई थी?
Ans. 8 April 1857
Important Books on Revolt of 1857
Book | Author | Year |
Rebellion 1857: A Symposium | P.C. Joshi | 1957 |
The Sepoy Mutiny and the Rebellion of 1857 | R.C. Mazumder | 1957 |
1857 | S.N. Sen | 1957 |
Civil Rebellion in India Mutinies | S.B. Chowdhury | 1957 |
The India War of Independence | V.D. Savarkar | 1909 |
The first Indian War of Independence | Karl Marx | 1859 |
Conclusion of Revolt of 1857
- Revolt of 1857 को अंग्रेज सरकार द्वारा पूरी तरह दबा दिया गया था।
- परन्तु यह विद्रोह पुरे एक साल तक चला और 1858 में ख़तम हो गया।
- इसके साथ ईस्ट इंडिया कंपनी को भी British Crown में हस्तांतरित कर दिया गया था।
- और, भारत पूरी तरह से ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन में चला गया था।
- 1857 का विद्रोह तो असफल रहा लेकिन भारत के लोगों को एक दिशा मिल गया था।
- और, यही से भारत को स्वतंत्रता दिलाने की चिंगारी लोगो के मन में देशभक्ति की तरह जाग उठी थी।
दोस्तों उम्मीद करता हु Revolt of 1857 की यह post पड़कर आपसभी को अच्छा लगा हो। क्यों की सरल तरीके यह post को वर्णन किया गया है, ताकि आपसभी को पड़ने में Interest मिले और आनंद आये। दोस्तों यदि यह post पड़कर आपसभी को पसंद आया है तो कृपया इन post को Facebook, twitter, pinterest और Instagram जैसे Social Sites पर Share करे। और, यह post पड़ने के लिए आपसभी का बहुत धन्यवाद। इसके साथ आपसभी का health स्वस्थ और सुरक्षित रहे यही कामना करते है।