Types of rocks in India Hindi|भारत की चट्टानें|मिलने वाले खनिज
नमस्कार दोस्तों studyknown ब्लॉग पर आपसभी का स्वागत है। दोस्तों आजके ब्लॉग पोस्ट पर हम Types of rocks in India यानि भारत में चट्टानों के प्रकार के बारे में जानने वाले है। चलिए दोस्तों सबसे पहले जानते है की भारत में कितने प्रकार के चट्टानें होती है? दोस्तों भारत की भूगर्भिक संरचना में छह तरह की चट्टानें पाई जाती है।
और, उन सभी चट्टानो के नाम है, 1. आर्कियन की चट्टानें, 2. धारवाड़ की चट्टानें, 3. कुडप्पा की चट्टानें, 4. विंध्यन क्रम की चट्टानें, (a. ऊपरी विंध्यन चट्टानें, b. निचली विंध्यन चट्टानें) 5. गोंडवाना की चट्टानें और 6. दक्कन ट्रैप। चलिए सबसे पहले आर्कियन क्रम की चट्टान के बारे में जानते है।
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1. Description of rock of Archaean in types of rocks in India
- दोस्तों आर्कियन समूह की चट्टानें 500 मिलियन से भी अधिक प्राचीन है।
- और, प्राचीन काल में पृथ्वी की संरचना के समय,
- पृथ्वी पूरी तरह से गरम थी,
- और, उसके बाद पृथ्वी जब धीरे धीरे ठंडा हुई तो उस समय,
- आर्कियन क्रम की चट्टानों का निर्माण हुआ।
- और, आर्कियन क्रम की चट्टानों को आग्नेय चट्टान भी कहा जाता है।
- और, यह चट्टानें मानव जीवन से भी बहुत पुरानी है,
- लेकिन, वर्तमान में इस चट्टानों के ताप, दाब ओर भूमि शील क्रीड़ाओ के कारन,
- यह चट्टानें रूपांतरण हो चूका है।
- इसीलिए आर्कियन क्रम की चट्टानों को ग्रेनाइट, नीस, शिस्ट,
- फिलाइट, मार्बल, क्वार्टज़, डोलोमाइट आदि के रूप में पाया जाता है।
- इसके साथ, पृथ्वी की उत्पत्ति के समय यह चट्टानों के निर्माण के कारन ही,
- इसमें जीवाश्म यानि कोई भी जीव का अंश नहीं पाया गया है।
- और, इस चट्टानों को उड़ीशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु,
- कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान के दक्षिण पूर्वी भागों में पाया जाता है।
2. Dharwad rocks | धारवाड़ की चट्टानें
- धारवाड़ शैल समूह की चट्टानें सबसे पहले बनी अवसादी शैले हैं।
- और, वर्तमान में यह चट्टानें कायान्तरित रूप में मिलती हैं।
- और, धारवाड़ की चट्टानों में भी जीवाश्म नहीं मिलते हैं।
- तथा, यह चट्टानें कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और मेघालय में फैली हैं।
- इसके साथ धारवाड़ की चट्टानें भारत की सर्वाधिक आर्थिक महत्व वाली चट्टानें है,
- जिसमे सबसे ज्यादा धात्विक खनिजों का 98% भंडार पाया जाता है।
- और, इस चट्टानों में लोहा, चाँदी, सोना, जस्ता,
- टंगस्टन, क्रोमियम और तांबा जैसे धातुएं पाया जाता है।
- तथा, इसी चट्टानों से कोबाल्ट, सीसा, अभ्रक,
- फ्लूराइट, संगमरमर, एस्बेस्टस जैसे खनिज पदार्थ भी प्राप्त होते है।
- और, धारवाड़ की चट्टानों का जन्म कर्नाटक के,
- धारवाड़ जिले में होने के कारन यह चट्टानों को,
- धारवाड़ की चट्टानों के नाम से जाना जाता है।
- इसके साथ सोना भी कर्नाटक राज्य के कोलार की खान,
- और, धारवाड़ चट्टानों की घाटी में सबसे ज्यादा पाई जाती है।
- तथा, भारत में सबसे पहले ज्वालामुखी क्रिया भी,
- धारवाड़ चट्टानों की काल में ही हुई थी।
3. Description of Cudappa Rocks in types of rocks in India
- दोस्तों कुडप्पा की चट्टानें 600 मिलियन से 1500 मिलियन वर्ष प्राचीन है।
- और, यह चट्टानों का निर्माण धारवाड़ क्रम की चट्टानों के पश्चात् हुआ है।
- और, धारवाड़ की चट्टानों की उत्पत्ति के बाद,
- विभिन्न समय पर पृथ्वी पर जब जल की क्रियाओं के कारन धीरे-धीरे,
- नदियों तथा समुंदर की निचले उपत्यका पर,
- धारवाड़ की चट्टानों की बिभिन्न अंश जमा होने लगी, तो,
- बाद में यह सभी अंश की भंडार ही,
- एकत्रित होकर के चट्टानों के रूप में धारण होने लगी,
- और, इसी चट्टानों को ही कुडप्पा क्रम की चट्टानें कहा जाता है।
- तथा, धारवाड़ चट्टानों की प्रभाव से निर्माण होने के कारन ही,
- इस चट्टानों में भी जीवाश्म का अभाव पाया जाता है।
- लेकिन, धारवाड़ की चट्टानों की तुलना में,
- कुडप्पा की चट्टानें कम महत्वपूर्ण हैं,
- क्यों की इस चट्टानों में खनिज पदार्थ तुलनात्मक कम मात्रा में मिलता हैं।
- इसके साथ, आंध्र प्रदेश राज्य के कुडप्पा जिले में,
- यह चट्टानों को मिलने के कारन ही,
- इस चट्टानों का नाम कुडप्पा रखा गया है।
- और, यह चट्टानें आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र,
- तमिलनाडु तथा हिमालय के कुछ क्षेत्रों आदि में पाई जाती हैं।
- और, इन चट्टानों से चूना पत्थर, बलुआ पत्थर, लोहा, तांबा,
- सीसा, संगमरमर और मैंगनीज आदि धातुएं भी प्राप्त होते है।
4. Description of Vindhyan rocks in types of rocks in India
- विंध्यन चट्टानों का निर्माण कुडप्पा चट्टानों के बाद में हुआ है।
- और, यह प्रथम अवसादी चट्टानें है जिसमे जीवाश्म की प्राप्ति होती है।
- और, इस चट्टानों का निर्माण समुद्र तथा नदीयो की निचले हिस्से की,
- घाटियों में पानी की जमने के कारन हुआ है।
- और, बलुआ पत्थर इसी चट्टानों के सबसे अच्छा उदाहरण है,
- जो की छिछले सागरो में जल की निक्षेपों के कारन ही निर्माण हुआ है।
- इसके अलावा इसी चट्टानों से संगमरमर, बालू का पत्थर,
- डोलामाइट तथा चुना का पत्थर भी प्राप्त होते है।
- और, विंध्यन की चट्टानों का नामकरण विंध्याचल श्रेणी के नाम पर रखा गया है।
a. Upper Vindhyan Rocks | ऊपरी विंध्यन चट्टानें
- देखा जाये तो विंध्यन की चट्टानों को दो भाग में भी पाया जाता है।
- एक है ऊपरी विंध्यन चट्टानें और दूसरा है निचली विंध्यन चट्टानें।
- सबसे पहले ऊपरी विंध्यन चट्टानों के बारे में जानते है।
- यह चट्टानें नदियों की घाटी में जल के जमने के कारन बनती है।
- और, यह चट्टान को प्रायद्वीपीय भारत के साथ साथ,
- बाहरी प्रायद्वीपीय में भी पाया जाता है,
- जैसे प्रायद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग के अरावली,
- तथा, उसके निकटवर्ती भागों में भी यह चट्टानें मिलती है।
- इसके साथ, नर्मदा के उत्तरी भागों के साथ साथ,
- प्रायद्वीपीय क्षेत्र के ओर भी कई जगह में भी यह चट्टानें पाई जाती है।
- इसके साथ यह चट्टानों का विस्तार,
- पूर्वी बिहार के सासाराम एवं रोहतास क्षेत्र से लेकर,
- पश्चिम में राजस्थान के चित्तौड़गढ़ क्षेत्र तक है,
- और, उत्तर में आगरा से लेकर दक्षिण में,
- होशंगाबाद तक यह चट्टानें फैली हुई हैं।
- और, इसी चट्टानों से गोलकुण्डा में हीरा एवं पन्ना भी मिलते हैं।
- इसके साथ, विंध्यन चट्टानों की अधिकतम चौड़ाई,
- आगरा और नीमच के बीच में है जो लगभग 4,242 meter तक है।
- और, इस चट्टानों से कई प्रकार के खनिज प्राप्त होते है,
- जैसे, निकल, तांबा, बलुआ पत्थर, कोयला, चूना पत्थर आदि…
b. Lower Vindhyan rocks | निचली विंध्यन चट्टानें
- निचली विंध्यन चट्टानें उन जमाट जल के कारन बनते है,
- जहा पर समुद्र एवं नदी की काफी मोटी परत जमी हुई होती है।
- और, यह चट्टानों को अलग अलग क्षेत्रों में,
- भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है।
- जैसे, बिहार में सोन नदी की घाटी में,
- सेमरी श्रेणी के नाम से जाना जाता है।
- तथा, राजस्थान के जोधपुर एवं चित्तौड़गढ़ में पलनी श्रेणी,
- और, आंध्र प्रदेश के दक्षिण पश्चिमी भाग में,
- करनूल श्रेणी के नाम से भी इस चट्टानों को जाना जाता है।
- इसके साथ, गोदावरी घाटी के ऊपरी हिस्से के साथ साथ,
- नर्मदा घाटी के उत्तर में मालवा एवं बुंदेलखण्ड में भी,
- इन चट्टानों की विभिन्न श्रेणियां देखने को मिलती है।
- और, निचली विंध्यन चट्टानों से चूना-पत्थर एवं क्वार्टूजाइट आदि प्राप्त होते है।
5. Gondwana Rocks| गोंडवाना की चट्टानें
- विंध्यन चट्टानों के निर्माण के कई वर्ष बाद,
- जब ऊपरी कार्बनीफेरस युग से जुरैसिक युग के बिच में,
- दुनिया भर में जब सरसीनियन हलचल हुई तब,
- संकीर्ण घाटियों में नदी द्वारा एकत्र होने वाले पदार्थों के,
- जमने के कारन ही गोंडवाना क्रम की चट्टानों का गठन हुआ है।
- और, यह चट्टानों में 95% कोयला संचित होने के कारन ही,
- इसे कोयलाधारी चट्टानें भी कहा जाता है।
- इसके साथ यह परतदार चट्टानें होने के कारन ही,
- इसमें रेंगने वाले जीवों के अवशेष भी मिलता है।
- और, प्रायद्वीपीय भारत में गोंडवाना की चट्टानों को कटक,
- विजयवाड़ा, काठियावाड़, मध्य प्रदेश, पश्चिमी राजस्थान
- और, महाराष्ट्र आदि क्षेत्रों में भी पाया जाता है।
- तथा, बाहरी प्रायद्वीपीय में भी यह चट्टानों का कुछ कुछ भाग पाया जाता है,
- जैसे, असम, दार्जिलिंग, सिक्किम और कश्मीर में भी,
- इस प्रकार की चट्टानों का अंश देखने को मिलते है।
- तथा, बलुआ पत्थर, चीका मिट्टी और चुना पत्थर,
- जैसे, खनिज पदार्थ भी इन चट्टानों से प्राप्त होते है।
6. Description of Deccan Trap in types of rocks in India
- दोस्तों दक्कन ट्रैप की चट्टानें काफी सख्त होती हैं।
- और, यह चट्टानें 100 मिलियन वर्ष से भी पुरानी चट्टानें है।
- और, इस चट्टानों का निर्माण मीसोजोइक महाकल्प के,
- क्रिटेशियस कल्प में हुआ था।
- और, उसी समय प्रायद्वीपीय भारत में भी ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था,
- जिसके कारन ज्वालामुखी के उद्भेदन से लावा का वृहद उदगार हुआ,
- और, लगभग 5 लाख किलोमीटर के क्षेत्र तक यह लावा फैल गया,
- जिसके कारन दक्कन की पठार की आकृति का भी जन्म हुआ है।
- और, इस चट्टानों से काली मिट्टी का भी निर्माण हुआ है।
- इसीलिए इस मिट्टी को रेंगुर तथा कपासी मिट्टी भी कहा जाता हैं।
- तथा, इस मिट्टी में खनिजीय विशेषताओं के साथ-साथ,
- रासायनिक विशेषताओं में भी समानता पाई जाती है।
- और, दक्कन ट्रैप की चट्टानों को मुख्य रूप से,
- महाराष्ट्र के अधिकांश भागों में भी पाया जाता है।
- इसके साथ, इस चट्टानों के कुछ भाग,
- मध्य भारत और बिहार के साथ साथ,
- गुजरात और तमिलनाडु के कुछ हिस्से में भी देखने को मिलते है।
- और, इस चट्टानों में एल्यूमिना, लोहा,
- तथा, मैगनीज जैसे खनिजों का भी अंश मिलता हैं।
- इसके साथ, इस चट्टानों में सिलिका की मात्रा 50% होने के कारन,
- इसमें से मैग्नीशियम, लोहा और कैल्शियम भी काफी मात्रा में पाया जाता है।
- और, देखा जाये तो दक्कन ट्रैप की चट्टानों के,
- पत्थर भी उत्तम किस्म के होते है,
- जिससे सड़क तथा भवन बनाने की कार्य में लगाया जाता है।
Description of the formation of the Himalayas and the classification of rocks in India
- दोस्तों भारतीय प्रायद्वीप प्राचीनकाल में गोंडवाना भूमि का हिस्सा था।
- और, आज से 120 मिलियन वर्ष पूर्व जब यह गोंडवाना भूमि अलग होकर,
- उत्तर पूर्व की ओर विस्थापित होती हुई यूरेशियन प्लेट से जाकर टकराने के कारन ही,
- टर्सीयरीक काल में हिमालय जैसी नवीनतम पर्वत का निर्माण हुआ है।
- और, भारत में प्राप्त होने वाली चट्टानों में,
- प्राचीन से लेकर नवीनतम चट्टानें पाई जाती है।
- जिन्हे चार वर्ग में विभाजित किया गया है।
- और, उनके नाम है, आद्यकल्प, पुराण कल्प, द्रविड़ कल्प, आर्य कल्प,
- और, इन चट्टानों में आद्यकल्प समूह की जो चट्टानें है,
- उसके अंदर दो और चट्टानें विकसित हुई है जिसके नाम है,
- आर्कियन क्रम की चट्टानें और धारवाड़ क्रम की चट्टानें,
- ठीक उसी तरह पुराण कल्प में भी दो ओर चट्टानों का विकसित प्राप्त होता है,
- जैसे, कुडप्पा क्रम की चट्टानें तथा विंध्यन क्रम की चट्टानें,
- लेकिन, द्रविड़ कल्प समूह की चट्टानें भारत की,
- प्रायद्वीप के बाहरी भागों में पाई जाती हैं।
- इसीलिए, भारत में इसी चट्टानों का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता है।
- इसके साथ, आर्य कल्प समूह की चट्टानों में,
- गोंडवाना क्रम की चट्टानें एवं दक्कन ट्रैप की चट्टानें आदि बनी है।
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